नई दिल्ली| कोरोना काल में बैंकिंग क्षेत्र के अंदर साइबर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। रिजर्व बैंक के अप्रैल-मई में कराए गए सर्वे से पता चला कि साइबर खतरा हाई रिस्क जोन में पहुंच गया है। साथ ही महामारी का असर पूरे बैंकिंग सिस्टम पर तीन से पांच साल तक रहने वाला है।
अब तक का सबसे मज़बूत गोरिल्ला ग्लास हुआ लॉन्च
रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के सर्वे की मानें तो यह अब तक का सबसे खतरनाक रिस्क जोन है। 18 सिस्टेमिक रिस्क सर्वे में साइबर साजिश पहली बार इतने खतरनाक स्तर पर पहुंची है। आरबीआई ने बैंकिंग कामकाज से जुड़े लोगों और विशेषज्ञों के बीच साइबर खतरा मांपने के पांच पैमाने दिए थे। सर्वे में साइबर खतरा हाई रिस्क जोन में बताया गया। इससे ऊपर सिर्फ वेरी हाई रिस्क जोन ही बचता है। पिछले साल अक्तूबर में कराए गए सर्वे में यह मध्यम स्तर के रिस्क जोन में था।
रिजर्व बैंक शुरू से ही सतर्क
साइबर सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने कोरोना संकट की शुरुआत में ही संबंधित विभागों और एजेंसियों को 13 मार्च को अलर्ट जारी कर दिया था। उसके बाद अलग-अलग तरह के हमलों से निपटने से जुड़े प्रभावी कदमों के 10 से ज्यादा अलर्ट और दिशा-निर्देश विभागों को भेजे गए।
गेमिंग के लिए है धांसू फोन ROG phone 3 जल्द होगा भारत में लॉन्च
ट्विटर पर महत्वपूर्ण सलाह
रिजर्व बैंक ट्विटर के जरिए लोगों को आगाह कर रहा है। लोगों को सलाह दी जा रही है कि मोबाइल या ईमेल के जरिए आने वाले किसी भी अनजान लिंक को क्लिक न किया जाए। ऐसे लिंक का कभी भी कोई जवाब नहीं देना चाहिए, बल्कि संदेह होने पर तुरंत डिलीट करने में ही भलाई है। साथ ही ओटीपी, यूपीआई पिन, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारियां भी किसी के साथ साझा नहीं करने की सलाह रिजर्व बैंक की तरफ से लगातार दी जा रही हैं।