नई दिल्ली। कोरोना वायरस से गर्भवती महिलाओं और नवजातों को ज्यादा खतरा है। मैचाच्युसेट्स जनरल अस्पताल के वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन महीने की गर्भवती अगर कोरोना संक्रमित हो जाती है तो उसके गर्भनाल के जरिए बहुत कम मात्रा में एंटीबॉडीज का स्तर शिशु तक पहुंचता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के खिलाफ मां से शिशु को मिली एंटीबॉडीज का स्तर न केवल तेजी से गिरता है बल्कि इन्फ्लुएंजा की तुलना में ये एंटीबॉडीज कम असरदार भी होती है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन महीने के मामले में ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि इस दौरान ग्लाइकोलाइजेशन की प्रक्रिया हो रही होती है। जिसका सीधा असर एंटीबॉडीज के अस पर होता है। लामा की छोटी एंटीबॉडीज से वायरस से बचाव संभव
कोरोना के खिलाफ लामा की एंटीबॉडीज से वैज्ञानिकों की लामा की नैनो एंटीबॉडीज को संरक्षित कर परीक्षण में पाया है कि उसके जरिए कोरोना वायरस से बचाव संभव है।
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अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों का कहना है कि लामा की एंटीबॉडीज
एनआईएच-सीओपीएनबी-112 वायरस से बचाव में कारगर है क्योंकि ये वायरस के स्पाइक प्रोटीन को समय रहते पहचान लेता है। और उसको निष्क्रिय करने में लग जाता है। प्रो. डैविल एल ब्रोडी का कहना है कि लाभ की ये एंटीबॉडीज कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे कारगर हो सकती है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भनाल के जरिए शिशु तक जो एंटीबॉडीज पहुंचती है उसमें कुछ बेहद असरदार होती है जो प्राकृतिक रूप से किलर सेल्स का काम करती है। ये एंटीबॉडीज जन्म के बाद नवजात को वायरस से बचने में मददगार हो सकती है।