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बाप-बेटे की जोड़ी ने NCERT की छह करोड़ नकली किताबें छाप कर लगाया 500 करोड़ का चूना

NCERT Scam

NCERT Scam

मेरठ। एनसीईआरटी  की नकली किताबों को छापने के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। भाजपा नेता संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता के टीएनएच के पब्लिकेशन में करीब 500 करोड़ से भी अधिक कीमत की नकली किताबें छप चुकी हैं। नई दिल्ली से जांच के लिए आई एनसीईआरटी की टीम ने अंदेशा जताया है कि काफी लंबे समय से नकली किताब छापने का धंधा चल रहा था।

इस मामले में पुलिस ने बताया है, परतापुर के अच्छरौंडा गांव में करीब डेढ़ साल पहले किताबों को रखने के लिए गोदाम किराए पर लिया गया था। परतापुर पुलिस और एसटीएफ ने इस गोदाम के अलावा मोहकमपुर स्थित फैक्टरी को भी सील कर दिया है। हालांकि एनसीईआरटी की टीम का दावा है कि काफी लंबे समय से मशीनें नकली किताबें छाप रही है। यह भी सवाल सामने आ रहा है कि अच्छरौंडा गांव से पहले भी कहीं दूसरी जगह एनसीईआरटी की नकली किताबें छापने का धंधा चल रहा था।

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एसटीएफ ने मेरठ और गजरौला में एनसीईआरटी की 18 लाख किताबें पकड़ी गईं हैं। जांच में सामने आया है कि ये किताबें सत्र 2020 की ही हैं।

सूत्रों ने बताया कि मेरठ और गजरौला में प्रकाशित की गईं करीब 56 लाख नकली किताबें यूपी और दूसरे राज्यों में खपा दी गई हैं। मेरठ और गजरौला में बरामद किताबों की संख्या 18 लाख है। वहीं इनसे तीन गुना किताबें इस सत्र में अलग-अलग स्थानों पर सप्लाई की गई हैं। एसटीएफ की जांच पड़ताल में सामने आया है कि करीब नौ साल से यह गिरोह अलग-अलग स्थानों पर एनसीईआरटी की नकली किताबें छाप रहा था। प्रत्येक वर्ष की छात्रों की संख्या को देखते हुए एसटीएफ और पुलिस मान रही है कि करीब 8-9 साल में यह गिरोह छह करोड़ किताबें छाप चुका है।

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एसटीएफ के अनुसार मेरठ और गजरौला के बाद दूसरे जिलों में भी इस गिरोह के गोदाम और प्रिंटिंग प्रेस हो सकती हैं। एसटीएफ की एक टीम गाजियाबाद में जांच कर रही है। वहीं, परतापुर पुलिस जांच के लिए प्रत्येक प्रकार की किताबों के दो-दो सैंपल एनसीईआरटी कार्यालय में भेजेगी। एनसीईआरटी की फोरेंसिक विंग किताबों की जांच करेगी।

मेरठ यूनिट के एसपी एसटीएफ कुलदीप नारायण ने बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा है, कि करोड़ों रुपये के सामान की एक दिन में रिकवरी करना सराहनीय है। इस गिरोह का पदार्फाश होना जरूरी था।

दूसरे जिलों के गोदामों भी एसटीएफ की नजर में

एसटीएफ के अनुसार मेरठ और गजरौला के बाद दूसरे जिलों में भी इस गिरोह के गोदाम और प्रिंटिंग प्रेस हो सकती हैं। एसटीएफ की एक टीम गाजियाबाद में जांच कर रही है। वहीं, परतापुर पुलिस जांच के लिए प्रत्येक प्रकार की किताबों के दो-दो सैंपल एनसीईआरटी कार्यालय में भेजेगी। एनसीईआरटी की फोरेंसिक विंग किताबों की जांच करेगी।

त्योहारों पर देते हैं स्कूल प्रबंधन को उपहार

शहर में एक मात्र प्रिंटिंग प्रेस संचालक ही हैं जो स्कूलों में शिक्षकों से लेकर स्कूल प्रबंधन को होली दीपावली और अन्य त्योहारों पर महंगे उपहार देते हैं। उपहार देने के पीछे स्कूल को अपने से जोड़कर रखना ही एकमात्र उद्देश्य होता है। इसके साथ कुछ शिक्षकों को महंगे उपहार इसलिए उपलब्ध कराए जाते हैं कि शिक्षक छात्रों को रेफरेंस के लिए उनकी किताबों को खरीदने के लिए बाध्य करें। इस पूरे खेल में मोटा मुनाफा कामना ही एक मात्र उद्देश्य होता है। नकली किताबें छापने से लेकर उनकी मार्केटिंग करने वाले इस पूरे नेटवर्क को चलाते हैं।

एसटीएफ मेरठ के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। करोड़ों रुपये के सामान की एक दिन में रिकवरी करना सराहनीय है। इस गिरोह का पदार्फाश होना जरूरी था। – कुलदीप नारायण, एसपी एसटीए

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