नई दिल्ली. कश्मीर हमेशा से एक विवादित क्षेत्र रहा है। पाकिस्तान ने कई बार इसे भारत से छीनने का प्रयास किया है। पाकिस्तान की कोशिशों को भारत के सिपाहियों ने हर बार नाकाम कर दिया। करगिल की लड़ाई भी ऐसी ही एक जाबाज जंग की कहानी है। इस लड़ाई में हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानी फौज का जमकर मुकाबला किया था।
पाकिस्तानी घुसपैठियों ने लगातार गोलियां चलाई और हमारे सैनिकों ने उन्हें सामने से जवाब दिया। इस साल कारगिल का 22वां विजय दिवस मानाया जा रहा है। इस मौके पर 24Ghanteonline आपको बता रहा है कारगिल युद्ध से जुड़े 10 चौंकाने वाले राज….
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ऐसे समझा था भारत ने पाक की हिमाकत को
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। इसकी शुरुआत हुई थी 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था।
यह लड़ाई 14 जुलाई तक चली थी। माना जाता है कि पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था।
14 जुलाई 1999 को दोनो देशों ने कारगिल पर अपनी कार्यवाही रोक दी थी। इसके बाद 26 जुलाई को भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ था।
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करगिल युद्ध के 10 चौंकाने वाले राज
- पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने खुद अपने देश को बेनकाब किया. दरअसल, पहले पाकिस्तान की ओर से बयान दिया गया था कि कारगिल की लड़ाई में मुजाहिद्दीन शामिल थे. अजीज ने बताया कि यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने लड़ी.
- कारगिल की लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले तत्कालीन पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी. साथ ही भारतीय जमीन पर करीब 11 किमी अंदर जिकरिया मुस्तकार नामक स्थान पर रात भी बिताई थी.
- उम्मीद से ज्यादा खतरनाक हुई कारगिल की जंग में एक समय ऐसा भी आया जब हार के खौफ में खिसियाये हुए मुशर्रफ ने परमाणु हथियार तक इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली थी.
- पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध को 1998 से अंजाम देने की फिराक में थी. इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था.
- कारगिल की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को पहले इस ऑपरेशन की सूचना नहीं दी गई थी. जब इस बारे में पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को बताया गया तो उन्होंने इस मिशन में आर्मी का साथ देने से मना कर दिया था.
- एक पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक, नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि कारगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था. इसमें पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था और 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे.
- कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का प्रयोग किया था. मिग-27 की मदद से इस युद्ध में उन स्थानों पर बम गिराए, जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था. इसके अलावा मिग-29 करगिल में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ और इससे पाक के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं.
- आठ मई को कारगिल युद्ध शुरू होने के 3 दिन बाद इंडियन एयर फोर्स ने थल सेना की मदद शुरू कर दी थी. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में वायु सेना के करीब 300 विमान उड़ान भरते थे.
- कारगिल की ऊंचाई समुद्र तल से 16000 से 18000 फीट ऊपर है. ऐसे में उड़ान भरने के लिए विमानों को करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है. इतनी ऊंचाई पर हवा का घनत्व 30% से कम होने से पायलट का दम विमान के अंदर ही घुट सकता है और विमान दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना रहता है.
- इस जंग में भारतीय सेना ने तोपखाने (आर्टिलरी) से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे. 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोज करीब 5,000 बम फायर किए थे. लड़ाई के महत्वपूर्ण 17 दिनों में प्रतिदिन हर आर्टिलरी बैटरी से औसतन एक मिनट में एक राउंड फायर किया गया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली ऐसी लड़ाई थी, जिसमें किसी एक देश ने दुश्मन देश की सेना पर इतनी अधिक बमबारी की थी.