कानपुर। बुलियन और ज्वैलरी काराेबारियों के प्रतिष्ठानों पर आयकर छापों में शहर के लगभग 25 बड़े कारोबारियों के साथ एक प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने से भी संदिग्ध लेनदेन के सबूत मिले हैं। छापे में सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी (Tax Evasion) भी पकड़ी गई। छापे की कार्रवाई अब खत्म हो गई।
प्रतिष्ठानों के मालिक अग्रवाल परिवार के सदस्य इस लेनदेन के संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। लेनदेन का ब्योरा आधा दर्जन पैन ड्राइव और हार्ड डिस्क में मिला, जिनमें पासवर्ड लगा हुआ था। विभाग ने अब इसकी अलग से जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों का कहना है कारोबारियों ने आयकर अफसरों से सरेंडर करने और आयकर चुकाने की पेशकश की, जिसे अफसरों ने ठुकरा दिया। सोमवार को विदेश से लौटे संजीव झुनझुनवाला और अमरीष अग्रवाल से भी टीमों ने पूछताछ की। वहीं नयागंज स्थित एक प्रतिष्ठान को सील किया गया। इसे सौरभ बाजपेई ने किराये पर दे रखा था। छापे के बाद से यह बंद था।
बताते चलें कि आयकर के 250 से ज्यादा अफसरों ने बृहस्पतिवार को राधा मोहन पुरुषोत्तम दास ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड और फर्म राधा मोहन पुरुषोत्तम दास ज्वैलर्स के अमरनाथ अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल और इन दोनों के बेटे अमरेष अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल के प्रतिष्ठानों व आवास पर छापा मारा था।
इनके सहयोगी सुरेंद्र जाखोदिया, सौरभ बाजपेई, एमरल्ड के प्रमोटर और रितु हाउसिंग के संजीव झुनझुनवाला प्रतिष्ठानों पर भी कार्रवाई की थी। अग्रवाल भाइयों की कंपनी का सालाना टर्नओवर 14 हजार करोड़ है वहीं फर्म का सालाना टर्नओवर 1700 करोड़ है।
बोगस फर्मों से 650 करोड़ का लेनदेन
छापे में सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी के साथ ही 250 करोड़ की फर्जी खरीद और फर्जी लोगों से किए गए 400 करोड़ के लेनदेन का भी पता चला है। छापे में आठ करोड़ की नकदी और आठ करोड़ का सोना-चांदी जब्त किया गया है।
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संजीव के प्रतिष्ठानों से मिले दस्तावेज
सूत्रों ने बताया कि संजीव झुनझुनवाला के प्रतिष्ठानों से तमाम संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। अग्रवाल परिवार के साथ इनके एक नंबर में सिर्फ 25 से 30 करोड़ के लेनदेन मिले हैं, जबकि अन्य संदिग्ध हैं। यह रकम रियल इस्टेट में खपाई जा रही थी। एमरल्ड में भी बड़े पैमाने पर निवेश के प्रमाण मिले हैं। अमरनाथ अग्रवाल के पुत्र अमरीष अग्रवाल की भूमिका हर लेनदेन में है।
बड़ा मामला, देशव्यापी छापेमारी हुई
अहमदाबाद, मुंबई और चेन्नई में की गई कार्रवाई में भी करोड़ों के बाेगस लेनदेन मिले। लखनऊ की तीन बोगस फर्मों में सालाना 1100 से 1200 करोड़ रुपये जमा करने के सुबूत मिले। यह रकम घूमकर वापस कारोबारियों के खातों में आ जाती थी।