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103 साल के संत ने महज छ्ह दिन में दी कोरोना को मात, अस्पताल से मिला डिस्चार्ज

103 years old sant beats the corona

103 साल के संत ने दी कोरोना को मात

कोरोना वायरस  के संक्रमण के खतरों के बीच उत्तर प्रदेश  के वाराणसी  से एक अच्छी खबर सामने आई।

गंगा किनारे ललिता घाट निवासी और राजराजेश्वरी मंदिर के 103 वर्षीय महंत शिवशंकर भारतीय ऊर्फ भारतीय स्वामी ने छह दिन में ही कोरोना को मात दे दी। शनिवार को उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया।

बीते शनिवार को उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि वह देश के ऐसे पहले वयोवृद्ध पॉजिटिव हैं, जो कोरोना की बीमारी के बाद स्वस्थ हुए हैं।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसी महीने महाराष्ट्र के पुणे में प्रवास के दौरान तबीयत खराब होने पर भारतीय स्वामी को वहां के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद वो अस्पताल में कोरोना से संक्रमित हो गये। बताया जा रहा है कि बीते 14 दिसम्बर को उन्हें पुणे से लाकर बीएचयू अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों की विशेष निगरानी में उनका इलाज किया गया। इसके बाद छह दिन में स्वस्थ होने पर वहां के लोगों ने महंत को बधाई दी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीएचयू स्थित सर सुन्दरलाल अस्पताल में छह दिनों में ही कोरोना को मात देने वाले भारतीय स्वामी दूसरे मरीजों के लिए प्रेरणादायी साबित हो रहे हैं।

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राजराजेश्वरी मंदिर के महंत भारतीय स्वामी विगत 60 साल से काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिदिन की मंगला आरती और भोग आरती में शामिल होते हैं। लॉकडाउन में जब सभी मंदिर आम लोगों के लिए बंद थे, मंदिरों में अर्चक ही पूजा करते थे, उस दौरान भी विश्वनाथ मंदिर में शिवशंकर भारतीय को आने की अनुमति थी। वह कभी आरती नहीं छोड़ते हैं। उनकी आस्था को देखते हुए लोग उन्हें ‘जीवित विश्वनाथ कहते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरसुंदर लाल अस्पताल के डिप्टी एमएमस प्रो. सौरभ सिंह ने महंत को लेकर चर्चा की। सौरभ सिंह ने कहा कि भारतीय स्वामी को भर्ती होने के बाद लगातार पांच दिनों तक रेमेडेसिविर इंजेक्शन दिया गया। खून का थक्का रोकने के साथ एंटी वायरल दवाएं भी दी गईं। हर समय पर उन पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी। प्रो. सौरभ सिंह ने कहा कि हमारे पूरे स्टाफ के सहयोग से उन्होंने कोरोना को मात दी है। वर्तमान में उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।

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