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128 वर्षीय योग गुरु बाबा शिवानंद का निधन, 2022 में पद्मश्री से हुए थे सम्मानित

Baba Sivananda

Baba Sivananda

वाराणसी। योग गुरु पद्मश्री शिवानंद बाबा (Baba Sivananda ) का 128 साल की उम्र में शनिवार की रात वाराणसी में निधन हो गया। बीएचयू अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक योग गुरु ने रात 8:30 बजे इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। बता दें कि तबीयत खराब होने के कारण वह तीन दिन से बीएचयू में भर्ती थे। वहीं निधन के बाद देर रात उनका शव दुर्गाकुंड स्थित आश्रम पर लाया गया।

आश्रम पर शिष्यों ने बताया कि शिवानंद बाबा (Baba Sivananda ) का अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर आज (रविवार) किया जाएगा। बता दें कि योग गुरू पद्मश्री शिवानंद बाबा को 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। बाबा दुर्गाकुंड के कबीर नगर में रहते थे।

पीएम मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक संवेदना प्रकट की है। उन्होंने X पर पोस्ट किया, ‘योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी (Baba Sivananda ) के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था। शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।’

बाबा शिवानंद (Baba Sivananda ) की जीवन यात्रा

बाबा शिवानंद (Baba Sivananda ) की इतनी लंबी जीवन यात्रा में एक दुख भरी कहानी भी थी। उनका जन्म 8 अगस्त, 1896 को पश्चिम बंगाल के श्रीहट्टी में एक भिक्षुक ब्राह्मण गोस्वामी परिवार में हुआ था। मौजूदा समय में यह जगह बंगलादेश में स्थित है। उनके माता-पिता भीख मांगकर अपनी जीविका चलाते थे। चार साल की उम्र में शिवानंद बाबा के माता-पिता ने उनकी बेहतरी के लिए उन्हे नवद्वीप निवासी बाबा ओंकारनंद गोस्वामी के हाथों में समर्पित कर दिया।

जब शिवानंद 6 साल के थे तो उनके माता-पिता और बहन का भूख के चलते निधन हो गया, जिसके बाद उन्होंने अपने गुरु के सानिध्य में आध्यात्म की शिक्षा ली र उनकी प्ररेणा से पूरे जीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया। बाबा शिवानंद पूरे जीवन योग साधना करते रहे। वह सादा भोजन करते और योगियों जैसी जीवनशैली का पालन करते थे। वह कहीं भी रहें, लेकिन चुनाव के दिन वाराणसी आकर अपने मदाधिकार का प्रयोग करना नहीं भूलते थे। उन्होंने इस साल की शुरुआत में प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचकर पवित्र संगम में आस्था की डुबकी भी लगाई थी।

इस उम्र में भी करते थे योग

वह इतनी उम्र होने के बावजूद योग के कठिन से कठिन आसन आसानी से करते थे। वह शिवभक्त थे। बाबा शिवानंद (Baba Sivananda ) रोजाना भोर में 3 से 4 बजे के बीच बिस्तर छोड़ देते थे। फिर स्नान करके ध्यान और योग क्रिया करते थे। आहार में वह सादा और उबला भोजन ही लेते थे। वह चावल का सेवन नहीं करते थे। वह कहते थे कि ईश्वर की कृपा से उनको किसी चीज से लगाव और तनाव नहीं है। उनका कहना था कि इच्छा ही सभी दिक्कतों की वजह होती है। बाबा शिवानंद कभी स्कूल नहीं गए और जो कुछ सीखा वह अपने गुरुजी से ही सीखा। वह इंग्लिश भी काफी अच्छी बोल लेते थे।

लकड़ी का तकिया लगाकर चटाई बिछाकर सोते

शिवानंद बाबा रोजाना 30 सीढ़ियां दो-बार उतरते चढ़ते थे। वो एक पुरानी बिल्डिंग के छोटे से फ्लैट में शिष्यों के साथ रहते थे। वहीं रात को बालकनी में चटाई बिछाकर सोते थे। बाबा के शिष्यों ने बताया कि जहां हम सब गर्मी से परेशान हो जाते, वहां बाबा प्रचंड गर्मी में भी बिना एसी के सोते थे, साथ ही ठंड में ब्लोअर का इस्तेमाल भी नहीं करते थे। वहीं सोने के लिए लकड़ी की स्लैब से तकिया बनाते थे। उन्होंने विवाह भी नहीं किया था।

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21 मार्च, 2022 को दिल्ली में 128 विभूतियों को राष्ट्रपति के हाथों दिए गए पद्म सम्मान में सबसे ज्यादा अगर किसी की चर्चा रही तो वह थे वाराणसी के बाबा शिवानंद। उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। बाबा शिवानंद की सादगी ही थी कि अवॉर्ड लेने के लिए वह नंगे पांव ही राष्ट्रपति भवन गए थे। पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद उन्होंने घुटनों के बल बैठकर प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया था। पीएम मोदी भी अपनी कुर्सी छोड़कर उनके सम्मान में झुक गए थे। बाबा शिवानंद राष्ट्रपति के सामने भी झुके तो तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें झुककर उठाया।

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