भगवान विष्णु को इस सृष्टि का संचालक माना जाता है। वे हिंदू धर्म के सबसे बड़े भगवान माने जाते हैं और उन्होंने धरती पर 10 अवतार लिए। इसमें से राम और कृष्ण अवतार काफी प्रसिद्ध हुए। इसके अलावा भगवान विष्णु के अन्य अवतारों की भी पूजा की जाती है। उनके पांचवे अवतार को वामन अवतार के रूप में जाना जाता है। वामन देवता की हिंदू धर्म में पूजा की जाती है और उनके जन्म को वामन जयंती (Vaman Jayanti) के रूप में मनाया जाता है। अगर सच्चे मन से वामन देवता की पूजा करें और उनके नाम से व्रत रखें तो श्रद्धालुओं को इसका फायदा भी मिलता है। आइये जानते हैं कि भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा था वामन अवतार और क्या है वामन देव की पूजा का सही तरीका।
कब मनाई जा रही वामन जयंती (Vaman Jayanti) ?
वामन जयंती (Vaman Jayanti) की बात करें तो ये भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन मनाई जाती है। इस साल ये तिथि 15 सितंबर 2024 के दिन पड़ रही है। इस दिन लोग वामन देव के नाम का व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इस बार वामन जयती (Vaman Jayanti) की द्वादशी तिथि की शुरुआत 14 सितंबर की शाम को 8 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इसका अंत 15 सितंबर 2024 को शाम को 6 बजकर 12 मिनट पर होगा।
श्रवण नक्षत्र की बात करें तो इसकी शुरुआत 14 सितंबर को शाम 08 बजकर 32 मिनट पर होगी और इसका अंत 15 सितंबर 2024 को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर होगा।
क्यों लिया था ये अवतार?
भगवान विष्णु का ये अवतार दुनिया को एक सबक सिखाने के लिए था इसलिए लोक कथाओं में इसका वर्णन बार-बार आता है। जब धरती पर राजा बलि का प्रकोप बढ़ गया और नौबत ये आ गई कि देवताओं के बीच भी हाहाकार मच गया ऐसे में फिर भगवान विष्णु ने राजा बलि के घमंड को चकनाचूर करने के लिए और एक सबक सिखाने के लिए वामन अवतार में जन्म लिया। उन्होंने देव माता अदिति और ऋषि कश्यप के बेटे के रूप में जन्म लिया।
क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि का पराक्रम जैसे-जैसे बढ़ा, वैसे-वैसे ही उनका अत्याचार भी दिखाई दिया। ये अत्याचार सिर्फ इंसानों पर नहीं बल्कि देवताओं पर भी था। ऐसे में बौने ब्राह्मण के रूप में भगवान विष्णु, राजा बलि के पास पहुंचे। वे यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ के दौरान वहां पर शुक्राचार्य भी मौजूद थे। ब्रह्मण ने इस दौरान राजा बलि से तीन पग भूमि मांग ली। राजा बलि को लगा कि 3 पग की भूमि कितनी होगी ही। उन्होंने वामन को 3 पग जमीन देने का वचन दे दिया। हालांकि वहां पर मौजूद गुरु शुक्राचार्य ने इस बात की चेतावनी भी दी कि वे ऐसा न करें। लेकिन राजा पूरी तरह से निश्चिंत थे। उन्होंने वामन देव को वचन दे दिया।
वचन में वामन देव ने एक पग से धरती और दूसरे पग से स्वर्ग नाप लिया। अब बारी थी तीसरे पग की। लेकिन तीसरे पग से नापने के लिए कुछ नहीं था। ऐसे में राजा बलि ने अपना सिर ही वामन देव के आगे रख दिया और उनसे सिर पर पैर रखने के लिए कहा। बलि के ऐसा करने से भगवान विष्णु काफी खुश हुए और उन्होंने अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रख दिया। इससे भगवान विष्णु पाताल पहुंच गए और वे वहां पर काफी समय तक रुके भी।