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प्रदेश में वर्ष 2021 में 165 साइबर अपराधी गिरफ्तार, 2.7 करोड़ से अधिक कैश बरामद

Cyber Thug

लखनऊ। जैसे-जैसे लोग डिजीटल हो रहे है वैसे-वैसे साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए पुलिस विभाग की साइबर क्राइम सेल पूरी तरह से सक्रिय होकर अपराधियों को पकड़ रही है। वर्ष 2021 में साइबर क्राइम पुलिस थानों में 475 मुकदमें दर्ज हुए हैं और 165 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी की गई हैं।

2.7 करोड़ से अधिक कैश बरामद

साइबर क्राइम सेल ने 165 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद इनके पास से करीब 2.7 करोड़ रुपये कैश बरामद किया है। साथ ही साथ चार करोड़ से अधिक की रकम पीड़ितों के बैंक खातों में फ्रीज करवाई गयी है।

155260 नम्बर को 112 से लिंक किया गया

चौबीस घंटे साइबर अपराधियों पर नजर रखने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2021 में नेशनल साइबर फाइनेंशियल क्राइम हेल्प लाइन 155260 नम्बर को यूपी 112 से लिंक किया है। यह सुविधा सिर्फ देश के आठ राज्यों में उपलब्ध है।

लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में स्थापित है साइबर थाने

प्रदेश की राजधानी लखनऊ व गौतमबुद्ध नगर में स्थापित साइबर क्राइम पुलिस थानों के अतिरिक्त 16 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर परिक्षेत्रीय साइबर थाने क्रियाशील है, जो पुलिस मुख्यालय स्थित साइबर क्राइम यूनिट के पर्यवेक्ष में साइबर अपराधों के मामले की विवेचना और कार्रवाई कर रहे हैं।

50 हजार कर्मी व अधिकारी प्रशिक्षित

पुलिस विभाग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष प्रिवेन्शन अगेंस्ट वूमेन एंड चिल्ड्रेन योजना के अन्तर्गत यूपी-112 स्थित साइबर लैब में 1386 अधिकारियों व कर्मचारियों प्रशिक्षण दिया गया। दस दिन की ऑनलाइन साइबर इंवेस्टीगेशन ट्रेनिंग में प्रदेश के लगभग 50 हजार अधिकारी व कर्मचारियों साइबर एक्सपर्ट ने प्रशिक्षण दिया है।

साइबर अपराध के प्रकार

स्पैम ईमेल – अनेक प्रकार के ईमेल आते है जिसमें एसे ईमेल भी होते है जो सिर्फ कंप्यूटर को नुकसान पहुचाते है। उन ईमेल से सारे कंप्यूटर में खराबी आ जाती हैं।

हैकिंग – किसी की भी निजी जानकारी को हैक करना जेसे की उपयोगकर्ता नाम या पासवर्ड और फिर उसमें फेरबदल करना।

साइबरफिशिंग – किसी के पास स्पैम ईमेल भेजना ताकी वो अपनी निजी जानकारी दे और उस जानकारी से उसका नुकसान हो सके। यह ईमेल आकार्षित होते है।

वायरस फैलाना – साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्यूटर को काफी हानि पहुंचा सकते हैं।

सॉफ्टवेयर पाइरेसी – सॉफ्टवेयर की नकल तैयार कर सस्ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं।

फर्जी बैंक कॉल – आपको जाली ईमेल, मैसेज या फोन कॉल प्राप्त हो जो आपकी बैंक जैसा लगे जिसमें आपसे पूछा जाये कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गयी तो आपको खाता बन्द कर दिया जायेगा या इस लिंक पर सूचना दें। याद रखें किसी भी बैंक द्वारा ऐसी जानकारी कभी भी इस तरह से नहीं मांगी जाती है और भूलकर भी अपनी किसी भी इस प्रकार की जानकारी को इन्टरनेट या फोनकॉल या मैसेज के माध्यम से नहीं बताये।

उठाये जा रहे ठोस कदम

अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर क्राइम सेल की ओर से ठोस कदम उठाये जा रहे हैं। कई अपराधी साइबर सेल की रडार पर है। उन्होंने अपील की है कि किसी भी अपरिचित व्यक्ति को कोई भी व्यक्तिगत व बैंक से सम्बाधित जानकारी न दें। अगर कोई आम आदमी साइबर अपराधियों का शिकार हो जाता है तो तत्काल नि:शुल्क 155260 नंबर डायल कर इसकी सूचना दें।

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