जिले के इतिहास में पहली बार कोई महिला अधिकारी बतौर जिलाधिकारी शासन की ओर से तैनात की गई हैं। 2006 बैच की आईएएस सेल्वा कुमारी जयाराजन को अलीगढ़ में तैनात किया गया है। अभी तक वह मुजफ्फरनगर जिले की कलेक्टर रहीं।
मूल रूप से दक्षिण भारत की रहने वाली सेल्वा कुमारी को पहला चार्ज ज्वाइंट मजिस्ट्रेट वाराणसी के तौर पर मिला। उसके बाद उन्होंने सीडीओ झांसी का पद संभाला। डीएम के तौर पर पहली बार चार्ज कासगंज में मिला। इसके बाद उन्होंने कन्नौज, बहराइच, एटा, फतेहपुर, इटावा, फिरोजाबाद और दो साल से डीएम मुजफ्फरनगर का जिम्मा संभाल रही थीं। उनकी छवि भी कुशल व सख्त प्रशासक के रूप में है।
जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह का रविवार देर रात अलीगढ़ से मुजफ्फरनगर डीएम के रूप में तबादला हो गया। बतौर, डीएम चंद्रभूषण सिंह जिले में तीन साल चार माह तैनात रहे। इस दौरान अलीगढ़ जैसे संवेदनशील जिले में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सख्त निर्णय लेने वाले प्रशासक के रूप में उनकी छवि रही। इस दौरान कई जनप्रतिनिधियों से विवाद भी रहा। मगर विवादों के बीच उन्होंने शहर की कई दशक पुरानी निजी बस स्टैंडों को शहर से बाहर करने, शहरी क्षेत्र में सरकारी संपत्तियों को कब्जा मुक्त कराने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाकर जिले को विकास के मार्ग पर ले जाने का प्रयास किए।
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जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने 23 मार्च 2018 को जिले की कमान संभाली थी। उस दौरान एएमयू में जिन्ना की तस्वीर का विवाद सुर्खियों में रहा। तमाम प्रदर्शन हुए। उन प्रदर्शनों में डीएम ने सख्त रुख अपनाकर निर्णय लिए। इसी बीच मथुरा रोड पर एक बड़ी बस दुर्घटना के बाद उन्होंने शहर में संचालित निजी बस अड्डों को बाहर कराया। यह जिले की कई दशक पुरानी मांग थी। जिससे यातायात व्यवस्था में काफी सुधार हुआ। इसके बाद उन्होंने शहर से लेकर जिले में कई सौ करोड़ की सरकारी संपत्तियों को कब्जा मुक्त कराया।
डीएम ने ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना का प्लान तैयार किया। लोधा क्षेत्र में उसे मूर्त रूप दिलाया। राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा पर लोधा में जमीन की तलाश पूरी की। इसी बीच सीएए-एनआरसी के आंदोलन की चुनौती आ गई। जिले में वुमन प्रोटेक्शन सेल के तौर पर बड़ी सौगात दी। अप्रैल 2020 में कोरोना ने जिले में दस्तक दी। कोरोना काल में कुशल प्रबंधन करके और शासन की तर्ज पर जिले स्तर पर टीम-11 का गठन किया। प्रतिदिन कोरोना की समीक्षा बैठक करके जिले को कोरोना मुक्त कराया।
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कार्यकाल के दौरान जिलाधिकारी ने कोरोना काल में ही नुमाइश-2021 का सफलता पूर्वक आयोजन कराया। धनीपुर हवाई पट्टी को धनीपुर मिनी एयरपोर्ट के तौर पर विकसित कराया। इस पूरे कार्यकाल में जनप्रतिनिधियों से विवाद भी खूब चर्चाओं में रहे। हालांकि शराब कांड में ही डीएम के तबादले का शोर मचा था। मगर उस समय सरकार ने जिला पंचायत व ब्लाक प्रमुख चुनाव को ध्यान में रखकर उन्हें यहां बरकरार रखा। चुनाव निपटते ही उनका तबादला किया गया है, जिस पर जिले में सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया हो रही हैं।