नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया लगभग बंद हो गई थी। इसी क्रम में सिनेमा घरों में भी ताला पड़ा रहा है। कुछ समय के लिए तो फिल्म मेकिंग की प्रक्रिया पर भी अंकुश लगा रहा। शुरुआत में कुछ दिनों के लिए हुई सिनेमाघरों की तालाबंदी वक़्त के साथ बढ़ा दी गयी। कोविड-19 प्रसार को रोकने के लिए कई चरणों में लॉकडाउन लगाया गया, जिससे फ़िल्मों और धारावाहिकों की शूटिंग बंद हो गयी। मनोरंजन उद्योग को इस वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
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बॉक्स ऑफ़िस पर क़रीब 3000 हज़ार करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता है। 2020 में यह रकम घटकर 500-600 करोड़ रुपये रह गयी है। ज़ाहिर है कि फ़िल्म इंडस्ट्री को लगभग 2500 करोड़ रुपये की तगड़ी चपत लगी है। ख़ासकर, वो लोग जो दिहाड़ी के आधार पर फ़िल्मों में काम करते हैं। हालांकि, कई बड़े कलाकारों और फ़िल्म संस्थाओं ने सामर्थ्यानुसार इन लोगों की मदद भी की। निर्माण के बाद फ़िल्में सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाती है। मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन के अनुसार, देशभर के सिनेमाघरों में लगभग दो लाख लोग छोटे-बड़े काम करते हैं। मगर, थिएटर बंद होने की वजह से इन पर रोज़गार का संकट आया। कुछ अनुमानों के मुताबिक, सिंगल स्क्रीन थिएटर्स को मासिक 25-75 लाख रुपये का झटका लगा है।
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अगर इसमें फ़िल्म निवेश पर ब्याज और दूसरे खर्चों को जोड़ दें तो यह नुक़सान कई गुना बढ़ जाएगा। ज़ाहिर है कि भारतीय मनोरंजन उद्योग पर व्यापक असर पड़ना था। भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री तकरीबन 2000 फ़िल्मों का निर्माण हर साल करती है, जिसे हज़ारों लोगों का रोज़गार मिलता है। इनमें कलाकार, कैमरामैन, मेकअप आर्टिस्ट, डिजाइनर्स, जूनियर कलाकार, स्पॉटबॉयज़, असिस्टेंट्स आदि शामिल हैं। फ़िल्मों की शूटिंग बंद होने की वजह से यह सभी लम्बे समय तक बेरोज़गार रहे।