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स्वामी विवेकानंद ने धर्म को देखने का एक नया व वैज्ञानिक नज़रिया दिया

सिद्धार्थनगर। भारत में हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
12 जनवरी 1863 में जन्मे स्वामी जी का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था, उनके पिताजी प्रख्यात वकील थे, कॉन्वेंट में पढ़े स्वामी जी बचपन से ही काफ़ी जिज्ञासु थे और उनकी इसी जिज्ञासा ने उन्हें ईश्‍वर को समझने व सनातन धर्म को जानने की दिशा में आगे बढ़ाया। उक्त बातें भाजपा के जिला कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश यादव ने कही, वे विवेकानंद जयंती के अवसर पर स्वामी विवेकानंद स्कूल सहिजनवा बर्डपुर में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। आगे उन्होंने कहा कि शिकागो में दिया गया उनका भाषण आज भी सबके बीच प्रसिद्ध है, जहां उन्होंने भारत व सनातन धर्म का इतनी संवेदनशीलता व गहराई से प्रतिनिधित्व किया था कि हम सब आज भी गौरवांवित महसूस करते हैं।
स्वामीजी ने ही दुनिया को बताया था कि असली भारत, यहां की संस्कृति और सभ्यता दरअसल क्या है।
रामकृष्ण परमहंस के इस प्रिय शिष्य ने हमें धर्म को देखने का एक नया व वैज्ञानिक नज़रिया दे दिया, यही वजह है कि उनका नाम आते ही हम एक अलग ही अनुभूति से गुज़रते हैं। और
उनके जन्मदिवस को युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। प्रबंधक मनीष चौधरी ने आये हुए अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर स्कूल के बच्चो के अलावा बृज लाल, सेवा निवृत्त शिक्षक विशम्भर नाथ पाण्डेय, अबू बकर खान, जावेद अख्तर, राम मिलन गुप्ता, जवाहरलाल, रविन्द्र कुमार, महेश प्रसाद, फिरोज अहमद, यशवीर सिंह, आकाश चौधरी, मो मोकीम, आलम, मनीष चौरासिया, सन्दीप चौधरी, दिलीप चौधरी, त्रिपुरारी चौधरी, राजकुमार चौधरी, आकांक्षा चौधरी, मो शाहिद, चंद्रपाल, शिव कुमार मिश्रा, अजय चौधरी, शशिधर मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे।

स्वामी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाया गया विवेकानंद जयंती
मथुरा प्रसाद चौधरी ऑलमाइटी पब्लिक स्कूल हथिहवां बर्डपुर सिद्धार्थनगर के प्रांगण में स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर विद्यालय के संचालक रामअवतार चौधरी व वहां पर उपस्थित अध्यापक गण के द्वारा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना किया गया।
विद्यालय के संचालक ने कहां कि स्वामी विवेकानंद जी वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।

 

Vivekananda Jayanti

उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 ईस्वी में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।
उनके द्वारा कही गई उठो और जागो और तब तक रुको नहीं ,
जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते। यह वाक्य बहुत प्रचलित है।
कार्यक्रम में प्रधानाचार्य सविता चौधरी, प्रिंस चौधरी, सर्वेश सर, मनोज आदि लोग उपस्थित रहे।

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