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मध्यप्रदेश में कोविड मरीजों के इलाज के लिए यूपी से भेजे गए 404 ऑक्सीजन सिलेंडर

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को सिर्फ अपने प्रदेश की चिंता नहीं है, मध्यप्रदेश में कोविड मरीजों के इलाज के लिए झांसी से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजी जा रही है। यहां से मप्र के टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी में ऑक्सीजन के 404 सिलेंडर भेजा गया है

कोरोना संक्रमण से अगर एक भी नागरिक की जान जा रही है तो वह बेहद दुःखद है। यह देश व प्रदेश की क्षति है। इसलिए संक्रमित मरीजों को इलाज में कोई भी कमी न रह जाये। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज चाहे प्रदेश का हो चाहे दूसरे राज्य का उसे बेहतर इलाज मुहैया कराया जाये।

मुख्यमंत्री के यह सख्त निर्देश के बाद अब प्रदेश से सटे राज्य के संक्रमित मरीजों का इलाज सूबे के अस्पतालों में किया जा रहा है। मरीजों को दवाओं के साथ ऑक्सीजन भी मुहैया कराई जा रही है। इसके तहत ही मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी के अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 404 सिलेंडर ऑक्सीजन झांसी से भेजी गई। सरकार के इस प्रयास से टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी में इलाज करा रहे सैंकड़ों मरीजों की जिंदगी बचाई गई।

58 अस्पतालों में चल रहा 7,821 कोविड मरीजों का इलाज

झांसी के जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने बताया कि प्रत्येक संक्रमित मरीज के जीवन को बचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर है। इसके तहत मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों के आग्रह पर टीकमगढ़, शिवपुरी और निवारी के अस्पतालों में झांसी से ऑक्सीजन के सिलेंडर भेज गए और अभी भी भेज रहें है। झांसी में अभी करीब 7,821 कोविड मरीज 58 अस्पतालों में इलाज करा रहें हैं। इनके अलावा कोविड से प्रभावित करीब ढ़ाई हजार लोग घरों में हैं जिनके इलाज पर नजर रखी जा रही है। वर्तमान में झांसी में कोविड प्रभावी मरीजों के लिए बीस टन ऑक्सीजन प्रति दिन उपलब्ध है, देहरादून के मेडिकल कॉलेज से यह ऑक्सीजन झांसी को मिल रही है। इसके अलावा भी जिले के गोरामछिया और बिजौली में दो ऑक्सीजन सप्लाई प्लांट भी लगे हैं, यहां से सिलिंडरों के जरिए अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इन्ही प्लांटों के जरिए मध्य प्रदेश के अस्पतालों को जिले से कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए।

झांसी में स्थापित होगा ऑक्सीजन प्लांट

जिलाधिकारी ने बताया कि 17 अप्रैल से 24 अप्रैल तक सीएमओ टीकमगढ़, सीएमओ शिवपुरी और सीएमओ निवारी व जिला अस्पताल टीकमगढ़ और जिला अस्पताल शिवपुरी को 404 सिलेंडर ऑक्सीजन झांसी से भेजी गई है। जिले से भेजी गई इस ऑक्सीजन से सैंकड़ों मरीजों की संकट से बचाया जा सका। झांसी में कोविड मरीजों के इलाज को लेकर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारी का कहना था कि इस कमी को पूरा करने के लिए यहां मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इस ऑक्सीजन प्लांट में रोजाना 9,000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होगा। इस प्लांट की स्थापना के लिए 85 लाख रुपये प्रदेश सरकार से मिल गए हैं।

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जिला अस्पताल में भी प्रतिदिन 5,000 लीटर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इन दोनों अस्पतालों में पाइपलाइन के जरिये मरीज के पलंग तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी। इनकी खासियत ये होगी कि ये दोनों ही प्लांट हवा से ऑक्सीजन तैयार करेंगे। दस दिनों की भीतर यह दोनों प्लांटों के बनकर तैयार हो जाएंगे। और उसके बाद झांसी में मरीजों के इलाज में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने पायेगी।

खोला गया रामराजा अस्पताल

जिलाधिकारी का कहना है कि झांसी में कोविड मरीजों के बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए झांसी की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में निजी अस्पताल रामराजा हॉस्पिटल को फिर से खोला गया है। तीन सौ बेड वाले इस अस्पताल को झांसी से ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाएगी। बदले में इस अस्पताल के सौ बेड झांसी के कोविड मरीजों के इलाज में उपयोग किए जायंगे। इस अस्पताल में भर्ती लोगों के इलाज के लिए झांसी से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए। अब इसी तरह से यूपी से सटे अन्य राज्यों के कोविड मरीजों के इलाज के लिए जिलों के अधिकारी मदद कर रहें हैं। जिसके चलते नोयडा और गाजियाबाद के अस्पतालों में दिल्ली से इलाज कराने के लिए बड़ी संख्या में कोविड मरीज इलाज करा रहें हैं।

उत्तराखंड, बिहार और नेपाल से इलाज करने आ रहे मरीज

उप्र के जिलों में उत्तराखंड, बिहार और नेपाल से लोग इलाज कराने आ रहें हैं। यहां पर किसी का भी इलाज करने के मना नहीं किया जा रहा है, हर मरीज का इलाज कराने का प्रयास किया जा रहा है।

इस संबंध में सोमवार को मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।

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