अतुल बाजपेयी सहित यूपी के छह युवा साहित्यकार पंडित प्रताप नारायण मिश्र अवॉर्ड से सम्मानित होंगे। दरअसल भाऊराव देवरस सेवा न्यास पिछले 26 सालों से ये सम्मान युवा साहित्यकारों को देते आ रहा है। 40 वर्ष तक की आयु वाले साहित्यकारों को उनके रचना कौशल के लिए ये सम्मान दिया जाता है।
इस बार काव्य विधा में लखनऊ के अतुल बाजपेयी, कथा साहित्य में बुलंदशहर के कुलदीप सिंह राघव, पत्रकारिता विधा में नोएडा के डॉ. सौरभ मालवीय, बाल साहित्य विधा में लखनऊ के श्याम कृष्ण सक्सेना, संस्कृत में अहमदाबाद के ऋषिराज जानी और भोजपुरी विधा में लखनऊ के अंबरीश राय को पुरस्कृत किया जाएगा।
26 दिसंबर को निराला नगर के माधव सभागार में कार्यक्रम का आयोजन होगा। जिसमें सभी साहित्यकारों को पुरस्कार स्वरूप 10 हजार रुपये, मां सरस्वती की प्रतिमा और पं. प्रताप नारायण मिश्र द्वारा रचित साहित्य प्रदान किये जाएंगे। मंत्री ब्रजेश पाठक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
किस साहित्यकार को कौन सी कृति के लिए मिलेगा सम्मान
श्याम कृष्ण सक्सेना-
उप्र हिंदी संस्थान में बच्चों की प्रिय पत्रिका बालवाणी के सहायक संपादक हैं. इनको इनके बाल कहानी संग्रह पढ़ो कहानी-मिले सफलता के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। इनका एक और बाल कहानी संग्रह जानो समझो, बनो महान छपने की प्रक्रिया में है।
डॉ. सौरभ मालवीय-
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्विद्यालय, नोएडा में वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक हैं। सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र-निर्माण की तीव्र आकांक्षा के चलते सामाजिक संगठनों से बचपन से ही जुड़ाव, जगत गुरु शंकराचार्य एवं डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार की सांस्कृतिक चेतना और आचार्य चाणक्य की राजनीतिक दृष्टि से प्रभावित डॉ. सौरभ मालवीय का सुस्पष्ट वैचारिक धरातल है। उन्हें पुस्तक ‘राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी बाजपेयी’ के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।
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अतुल बाजपेयी-
करीब 14 वर्षों से आकाशवाणी, दूरदर्शन और अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत वीररस में काव्यपाठ कर रहे हैं। इन्हें इनकी काव्य कृति मैं भारत हूं के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।
अम्बरीष राय-
इन्हें भोजपुरी विधा के सम्मानित किया जाएगा। इनके दादा और परदादा का देश की आजादी में योगदान रहा और उन्हीं से प्रेरित होकर इन्होंने संस्कृति, भाषा, राष्ट्रवाद विषय पर शोध कार्य किया. महात्मा गांधी और देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जैसे महापुरुषों के विचारों से प्रेरित रहे हैं। देशभर की विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में भोजपुरी भाषा में सामाजिक, राष्ट्रवाद जैसे अहम मुद्दों पर लेखन करते रहते हैं।
कुल्दीप सिंह राघव-
बुलंदशहर के खुर्जा के रहने वाले कुल्दीप सिंह राघव को उनकी लोकप्रिय और चर्चित पुस्तक आईलवयू के लिए ये पुरस्कार दिया जाएगा।