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वाहन उपकरण क्षेत्र में 60 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद

घरेलू वाहन उद्योग

घरेलू वाहन उद्योग

नई दिल्ली। देश के वाहन उपकरण उद्योग ने चीन के साथ सीमा तनाव के बीच अब वहां से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनने की कवायद तेज कर दी है। इससे वाहन उपकरण उद्योग में आने वाले समय में करीब 60 लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। सरकार की ओर से सूक्ष्म,छोटे एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के लिए की गई नई पहल से भी वाहन उपकरण उद्योग को तेजी की उम्मीद है।

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भारतीय वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एसीएमए) का भी कहना है कि घरेलू वाहन उद्योग चीनी आयात पर निर्भरता कम करना चाहता है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से वाहन उद्योग को महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी से जूझना पड़ा था। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने 17.6 अरब डॉलर के वाहन कलपुर्जों का आयात किया था। इसमें से 4.75 अरब डॉलर का आयात चीन से हुआ था।

की फैक्टर

एसीएमए के महानिदेशक विनी मेहता का कहना है कि कोविड-19 महामारी और उसके चलते हुए लॉकडाउन की वजह से सभी अर्थव्यवस्थाओं और उद्योगों ने आयात पर निर्भरता घटाने पर विचार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश के वाहन उद्योग ने अपने जोखिम को कम करना शुरू किया है। वह गंभीरता से लोकल फॉर वोकल यानी स्थानीयकरण पर ध्यान दे रहा है। मेहता ने कहा कि भारत-चीन के बीच हालिया विवाद के बाद यह प्रक्रिया और तेज हो गई है।

सबको मिलकर काम करना होगा

मेहता ने कहा इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उद्योग को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। कंपनियों और सरकार को साथ मिलकर इसकी रूपरेखा बनानी होगी और उसी के अनुरूप काम करना होगा। उन्होंने कहा कि न तो सरकार अकेले ऐसा कर सकती है और न ही उद्योग।

वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ का कहना है कि घरेलू वाहन कलपुर्जा उद्योग की वृद्धि के लिए सरकार को कारोबार सुगमता, सस्ती दर पर पूंजी की उपलब्धता, लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा की लागत पर ध्यान देना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने एमएसएमई के लिए जो पहल की है उससे काफी मदद मिलने की उम्मीद है। लेकिन चीन से आयात घटाने और भारत में ऊंची लागत को ध्यान में रखते हुए इस उद्योग को विशेष रियायत की जरूरत होगी।

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सरकार और वाहन उपकरण उद्योग का लक्ष्य इस क्षेत्र को 200 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है जो अभी 57 अरब डॉलर का है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहन कलपुर्जा उद्योग के सामने सरकार की नीतियों में अस्थिरता, निवेश और कुशल मानव संसाधन की कमी जैसी चुनौतियां हैं।  इस उद्योग का राजस्व 200 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए 30 से 40 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।

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