गोरखपुर। गोरखपुर में स्कूल खोलने के लिए अभिभावकों से फीडबैक लिया जा रहा है। कक्षा पांचवी से आंठवी तक के बच्चों के माता-पिता स्कूल उन्हें स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। इसी पर जिला विद्यालय निरिक्षक ने फीडबैक लिया था। अब भी कोई फैसला न होने पर प्रधानाचार्यों से राय मांगी जा रही है। कोरोना महामारी के बीच कक्षा नौ से कक्षा बारहवीं के बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। कोरोना संकट के बीच कक्षा नौ से कक्षा बारहवीं के विद्यार्थियों की पढ़ाई कराई जा रही है। लिहाजा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कक्षा छह से कक्षा आठ तक के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाने का खाका तैयार किया। इससे पहले ही माता-पिता से राय मांगी गई। इसकी रिपोर्ट आई तो विभागीय अफसर चुप हो गए।
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माता-पिता ने जो राय दी, उसके मुताबिक 65 फीसदी विद्यार्थियों को घर पर ही पढ़ाने के पक्षधर हैं। उनका कहना है कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं आएगी, तब तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। वैक्सीन लगने के बाद ही स्कूल भेजने पर निर्णय लेंगे। हालात सामान्य होने तक बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
मार्च से बंद चल रहे हैं स्कूल
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में जो आंकड़े हैं, उसके मुताबिक 35 फीसदी माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजकर पढ़ाना चाहते हैं। ऐसे माता-पिता ऑनलाइन पढ़ाई से संतुष्ट नहीं हैं। वह कक्षा नौ से बारह तक के विद्यार्थियों की तरह ही कोरोना प्रोटोकॉल के अनुपालन के साथ बच्चों को स्कूल भेजना व पढ़ाना चाहते हैं। इस तरह की राय देने वाले ज्यादातर माता-पिता ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हैं। कुछ ऐसे हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है। कनेक्टिविटी की समस्या भी जबरदस्त है। शहरी क्षेत्र के 20-25 फीसदी माता-पिता ही बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं।
कोरोना महामारी की वजह से मार्च से ही कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यालय बंद चल रहे हैं। पढ़ाई के लिए दीक्षा एप, शिक्षकों की ओर से तैयार वीडियो, दूरदर्शन और आकाशवाणी की मदद ली जा रही है। नेटवर्क की समस्या और स्मार्ट फोन न होने के कारण तमाम विद्यार्थी ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
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जिला विद्यालय निरीक्षक ज्ञानेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि शासन स्तर से कक्षा पांचवीं से आठवीं तक के विद्यालयों को दिसंबर में खोलने के लिए प्रधानाचार्यों के स्तर से एक सर्वे कराया गया है। इसके तहत 65 फीसदी माता-पिता बच्चों को अभी स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। 35 फीसदी माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में हैं। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। शासन से जैसे दिशा-निर्देश मिलेंगे, वैस ही स्कूल खोलने या बंद रखने पर फैसला लिया जाएगा।