मथुरा। 35 साल बाद राजा मान सिंह हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायालय ने आज फैसला सुना दिया। इस मामले में 11 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। दोषियों में तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी भी शामिल है। तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है। आज मुकदमे की सुनवाई के लिए राजा मानसिंह की बेटी दीपा सिंह, उनके पति विजय सिंह आदि स्वजन मथुरा कोर्ट पहुंचे थे।
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक, 20 फरवरी 1985 में जब राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की चुनावी सभा की 20 फरवरी तय की गई। इस सभा से पूर्व कांग्रेसियों ने राजा मानसिंह के रियासत के झंडे उखाड़ दिए थे। अपने झंडे उखाड़ने से राजा मान सिंह अपनी जोंगा जीप से सीधे मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए वहां पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से उतरे थे। उन्होंने हेलीकॉप्टर को जीप की टक्कर से क्षतिग्रस्त कर दिया। हालांकि उस समय तक मुख्यमंत्री वहां से जा चुके थे। इसके बाद राजा मान सिंह ने मुख्यमंत्री के सभा स्थल पहुंचने से पहले ही जोगा की टक्कर से चुनावी मंच को ध्वस्त कर दिया था।
बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहे हैं सुष्मिता सेन के भाई राजीव
कहा जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उस समय टूटे मंच से ही चुनावी सभा को संबोधित किया था। इस घटनाक्रम के लिए पुलिस अधिकारियों की जमकर खिंचाई की थी। फिर बाद में पुलिस ने राजा मान सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि अगले दिन 21 फरवरी को जैसे ही राजा मान सिंह लाल कुंडा चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से गुजरे सीओ कान सिंह भाटी के चालक महेंद्र द्वारा पुलिस वाहन को जोगा जीप के सामने खड़ा कर दिया गया। इसके बाद लोगों को सिर्फ फायरिंग सुनाई दी। जोगा जीप में राजा मान सिंह, सुम्मेर सिंह और हरी सिंह के शव मिले थे।
सीबीआई ने की मामले की जांच
22 फरवरी को राजा की अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस मामले से सियासी बवाल हुआ, तो राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी। जयपुर सीबीआइ कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। फिर वादी ने सुप्रीम कोर्ट से इस मुकदमे को राजस्थान से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की।
यूपी में क्या चल रहा है? जहां लोग पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराने से डरते हैं : ममता बनर्जी
1 जनवरी, 1990 को सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा जिला एवं सत्र न्यायाधीश मथुरा स्थानांतरित कर दिया। इस मामले की पिछली सुनवाई मथुरा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर की अदालत में 9 जुलाई को हुई थी, तब 21 जुलाई फैसले पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई थी।
कौन हैं राजा मान सिंह
राजा मानसिंह का जन्म भरतपुर रियासत के महाराज किशन सिंह के घर 5 दिसंबर, 1921 को हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में साल 1928 से 1942 तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। राजा मानसिंह 1946 से 1947 तक भरतपुर रियासत के मंत्री रहे थे। साल 1947 में उन्होंने रियासत का झंडा उतारने का विरोध किया। राजा मानसिंह ने साल 1952 में विधान सभा का पहला निर्दलीय चुनाव जीता था। इसके बाद लगातार वह सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे।