लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डीजीपी एचसी अवस्थी ने फिरौती के लिए किए अपहरण आदि मामलों में प्राथमिकता के आधार पर अपहृत को सकुशल बरामदगी करने के संबंध में अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं।
श्री अवस्थी ने प्रदेश में अपहरण की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कृत कार्यवाही से सम्बन्धित मुख्यालय स्तर से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये है। उन्होंने निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन कराते हुए इस प्रकार के अपराधों की प्रभावी रोकथाम के लिए विवेचनात्मक कार्यवाही, बरामदगी आदि के संबंध में निर्देश दिये । उन्होंने कहा कि घटना की सूचना प्राप्त होते ही तत्काल घटना स्थल का थाना प्रभारी, क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा निरीक्षण किया जाये।
यूनीसेफ की चेतावनी : कोराना के कारण दुनिया में 67 लाख बच्चे हो सकते हैं कुपोषण का शिकार
निर्देशों में है कि यदि शिकायतकर्ता का स्पष्ट आरोप है कि अपहृत/अपहृता का अपहरण किसी अपराध घटित करने के उदेश्य से हुआ है, तो तदानुसार अपराध उचित धारा में पंजीकृत होगा। फिरौती के लिए अपहरण से सम्बन्धित अपराधों में अविलम्ब प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा 364ए भादवि के तहत पंजीकृत कर कार्यवाही की रूपरेखा का निर्धारण किया जाए। ऐसे प्रकरणों में किसी स्तर पर शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। अपहृत/अपहृता की सकुशल बरामदगी कराने के लिए थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा कार्ययोजना एवं पुलिस अधीक्षक के साथ समन्वय बनाकर टीमों का गठन कर कार्य आवंटित किया जाये।
फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में 24 घण्टे के अन्दर अपहृत/अपहृता का फोटो सहित पूर्ण विवरण प्राप्त कर प्रदेश एवं देश के अन्य राज्यों में प्रेषित कर वहां से जानकारी हासिल किये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करें। फिरौती के लिए अपहरण की घटनाओं में पूर्व में सम्मिलित अपराधियों पर भी सक्रिय निगरानी रखते हुए उनकी संलिप्तता के आधार पर कार्यवाही की जाय। यदि अपहृत के पास मोबाइल फोन है तो उससे सम्बन्धित डाटा जो उपलब्ध हों, उसका तकनीकी परीक्षण तथा परिष्करण भी नियमानुसार कराया जाए। इस कार्य के लिए जिले में सक्रिय सर्विलांस टीम को लगाया जाये।
नायक एक्टर अनुपम श्याम आईसीयू में हैं भर्ती, मदद के लिए लगाई गुहार
डीजीपी ने कहा कि अपहृत की बरामदगी के लिए एक विशेष टीम का गठन किया जाए तथा आवश्यकतानुसार एसटीएफ की सम्बद्धता के लिए उच्चाधिकारियों से तत्काल सम्पर्क स्थापित किया जाए। यदि प्रकरण में किसी आपराधिक गिरोह के संलग्न होने का संदेह हो तो एक से अधिक टीमें बनाकर समस्त सूचनाएं एकत्रित करते हुए तेजी से अपराधियों को पकड़ने तथा अपहृत/अपहृता को तत्काल बरामद किया जाए।
नामित अभियुक्तों से भी की गयी पूछताछ की वीडियो रिकार्डिंग, अभियुक्त का पोलीग्राफ टेस्ट, ब्रेन मैपिंग एवं नार्को एनालिसिस टेस्ट विधि सम्मत कराये जाए और विधिक आवश्यकता पड़ने पर अभियुक्त को पुलिस रिमाण्ड पर लिया जाए।
पर्यवेक्षण- वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ऐसे प्रकरणों में अपहृत की सकुशल बरामदगी तक निरन्तर समीक्षा की जायेगी ।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में मचा हड़कंप, शिवसेना आएगी साथ
आवश्यकतानुसार जिला स्तर पर इस प्रकार के प्रकरणों में सहायता के लिए सम्बन्धित जिला प्रभारी एण्टी हयूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, महिला चाइल्ड हेल्पलाइन एवं गैर सरकारी संगठनों की सहायता अपने विवेक से ले सकते है।
गौरतलब है कि हाल ही में कानपुर,गोण्डा ,गोरखपुर,गाजियाबाद समेत राज्य में फिरौती के लिए अपहरण के कई मामले प्रकाश में आये हैं।