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कोरोना लॉकडाउन में अभिभावक कटवा रहे नाम, बच्चों का साल बर्बाद

Desk by Desk
31/07/2020
in ख़ास खबर, राष्ट्रीय, शिक्षा
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स्कूल बंद

स्कूल बंद

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पटना| प्रियांशु पाटलिपुत्र कॉलोनी स्थिति बचपन प्ले स्कूल में एलकेजी टू में पढ़ रहा था। लेकिन लॉकडाउन होने से स्कूल बंद हो गया। स्कूल ने शुरुआत में एक महीने तक ऑनलाइन पढ़ाने की कोशिश भी की। ऑनलाइन क्लासेस शुरू भी किया गया। लेकिन वह ऑनलाइन क्लास में बैठने को तैयार नहीं, रोने लगता था। इसके बाद जून में प्रियांशु के पिता ने उसका नाम यह कहकर कटवा दिया कि कोरोना बाद फिर दाखिला करवाएंगे। ऐसे एक नहीं, कई अभिभावकों ने किया। जून आते-आते स्कूल में तीन सौ की जगह 25 बच्चे रह गये, फिर स्कूल भी बंद हो गया।

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यह स्थिति कोई एक स्कूल की नहीं है, राजधानी के कई इलाकों के गली मोहल्ले में चल रहे प्ले स्कूल की है। स्कूल बंद है। राजधानी का सबसे पुराना कहे जाने वाला प्ले स्कूल ब्लोशम नर्सरी स्कूल है। यह 27 साल पुराना स्कूल है। इस स्कूल में अभी 40 फीसदी ही बच्चे है। 60 फीसदी अभिभावकों ने बच्चे का नाम कटवा लिया है। कई स्कूलों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। ऐेसे में स्कूलों को बंद करना पड़ रहा है। चूंकि कोरोना के कारण स्कूल लगातार बंद ही चल रहा है। अगर स्कूल खुलेगा भी तो प्ले स्कूल खुलते-खुलते कई और महीने लग जाएंगे। ऐसे में कई स्कूल प्रशासन ने स्कूल को बंद कर दिया है।

बोरिंग रोड, बोरिंग कैनाल रोड, पाटलिपुत्र कॉलोनी, राजेंद्रनगर, कंकड़बाग, मलाही पकड़ी, जगदेव पथ, आशियाना, दीघा आदि इलाकों के गली मोहल्ले में सैकड़ों प्ले स्कूल थे। आसपास के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते थे। इसमें ज्यादातर स्कूल किराये के मकान में चल रहे थे। ये स्कूल किराये देने में सक्षम नहीं है। टेंडर हर्ट्स इंटरनेशनल नर्सरी स्कूल के प्राचार्य राजीव भार्गव ने बताया कि प्ले स्कूलों की स्थिति बहुत खराब है। स्कूल चल नहीं रहा है और आमदनी नहीं होने से स्कूलों को बंद करना पड़ रहा है। हमारे इलाके में कई स्कूल बंद हो गये। बचपन प्ले स्कूल की प्राचार्य ज्योति शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन क्लास छोटे बच्चों को समझ में नहीं आता है। वो ऑनलाइन क्लास में नहीं बैठना चाहते। कई अभिभावक ने बच्चों को जबरदस्ती बैठाने की कोशिश की तो वो रोने लगे।

अभिभावक नाम कटवा रहे हैं। ऐसे में क्या करें। स्कूल को फिलहाल बंद करना पड़ा। जो बच्चे पहले से पढ़ रहे थे उनके भी अभिभावक रखने को तैयार नहीं है, ऑनलाइन पढ़ाई संभव नहीं है। निलिमा गुप्ता (प्राचार्य, शेमरॉन प्ले स्कूल) ने कहा, 40 फीसदी ही बच्चे स्कूल से जुड़े हैं, जो अपनी पढ़ाई को नियमित चला रहे हैं। 30 फीसदी अभिभावक तो मई में ही बच्चे का नाम कटवा लिये। 27 साल पुराना मेरा स्कूल है।

जितिका सिन्हा (ब्लोशम नर्सरी स्कूल, बुद्धा कॉलोनी) ने कहा, बुद्धा कॉलोनी में शेमरॉन प्ले स्कूल पिछले आठ साल से चल रहा था। मोहल्ले भर के बच्चे पढ़ने आते थे। लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ और स्कूल को बंद करना पड़ा। नए सत्र का नामांकन भी स्कूल में नहीं हो पाया था। लगातार चार महीने बंद रहने के कारण अब 70 फीसदी अभिभावकों ने बच्चे का नाम कटवा दिया है। स्कूलों को भी फिलहाल इस सत्र के लिए बंद कर दिया गया है।

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राजेंद्र नगर स्थित यूरो किड्स प्ले स्कूल, पिछले कई सालों से चल रहा था। लेकिन लॉकडाउन होने के कारण स्कूल से 80 फीसदी अभिभावकों ने निकाल लिया है। स्कूल भी अब किराये देने के स्थिति में नहीं है। ऐसे में स्कूल को बंद करना पड़ा है। इस स्कूल में ढाई सौ के लगभग बच्चे पढ़ रहे थे।

50% बच्चों का साल बर्बाद

कोरोना का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों यानि प्ले स्कूल में जाने वाले बच्चों को हुआ है। छोटे बच्चों की पढ़ाई बिल्कुल ही छूट गयी है। शहर के कई बड़े प्ले स्कूल में 50 से 70 फीसदी बच्चों ने नाम कटवा लिया है।

Tags: corona viruseconomic problemeconomic recessionincomelockdownplay schoolschool closedSchoolsआयआर्थिक मंदीआर्थिक समस्याकोरोना वायरसप्ले स्कूललॉकडाउनस्कूलस्कूल बंद
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