नई दिल्ली। कोविड-19 और दुनिया भर में लॉकडाउन के चलते बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। यह बात संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कही है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते 1.6 अरब स्टूडेंट्स की पढ़ाई या तो रुक गयी है या फिर बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि इसका परिणाम ये होगा कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवेश के 2.38 करोड़ बच्चे अगले साल स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ सकते हैं।
गुतारेस ने दुनिया में शिक्षा के हालातों में आए बदलाव से संबंधित एक दस्तावेज जारी किया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने इतिहास में शिक्षा के क्षेत्र में अब तक का सबसे लंबा अवरोध पैदा किया है। इस दस्तावेज को जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि शिक्षा व्यक्तिगत विकास और समाज के भविष्य की कुंजी है।
Last month, over 1 billion students were affected by #COVID19 school closures.
Even before the pandemic, the world was facing a learning crisis.
We must take bold steps now, to create inclusive, resilient, quality education systems fit for the future. https://t.co/fD4nwEkqUg pic.twitter.com/71ksZO2DHP
— António Guterres (@antonioguterres) August 4, 2020
यह अवसर खोलती है और असमानता को दूर करती है। यह ज्ञानवान, सहिष्णु समाज का मेरुदंड तथा सतत विकास का प्राथमिक संचालक होती है। कोविड-19 महामारी ने अब तक के इतिहास में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे लंबा अवरोध पैदा किया है। उन्होंने कहा कि जुलाई के मध्य में 160 से अधिक देशों में स्कूल बंद कर दिये गये हैं, जिससे एक अरब से अधिक छात्र प्रभावित हुए और दुनियाभर में कम से कम चार करोड़ बच्चे अपने स्कूल के शुरुआती महत्वपूर्ण समय में शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके।
गुतारेस के अनुसार अनुसार महामारी ने शिक्षा में असमानता को बढ़ाया है। लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने से पढ़ाई को हुए नुकसान से पिछले कुछ दशकों में हुई प्रगति के बेकार होने का खतरा है। दस्तावेज के अनुसार, ‘इनके अतिरिक्त करीब 2.38 करोड़ बच्चे और युवा (प्रारंभिक से उच्च माध्यमिक तक) केवल महामारी के आर्थिक असर की वजह से अगले साल पढ़ाई छोड़ सकते हैं या उससे वंचित रह सकते हैं।
गुतारेस ने कहा कि दुनिया के सामने असमानता का अस्थायी स्तर है और ऐसे में हमें शिक्षा की हमेशा से अधिक जरूरत है जो समानता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य के लिहाज से समावेशी, लचीली और गुणवत्तापरक शिक्षा प्रणाली के लिए साहसिक कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम, अल्पसंख्यक, वंचित तबकों, विस्थापित और शरणार्थी छात्रों तथा दूरदराज के इलाकों में रहने वाले छात्रों के पिछड़ने का जोखिम बहुत अधिक है। UN प्रमुख ने कहा कि दुनिया शिक्षण संकट से पहले ही जूझ रही है। महामारी से पहले भी 25 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे।