नई दिल्ली। चीन के साथ लगी सीमा पर तनाव के बीच भारत को पांच राफेल लड़ाकू विमान (Rafale fighter jets) मिल चुके हैं। मगर ड्रैगन की तकनीकी क्षमता को भांपते हुए भारतीय सेना सिर्फ पारंपरिक युद्ध के तौर-तरीकों पर ही नहीं, भविष्य की युद्ध रणनीतियों पर भी आगे बढ़ रही है। सेना अत्याधुनिक तकनीकों पर स्टडी कर रही है। इस स्टडी के अगुवा एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल हैं।
सेना जिन तकनीकों पर स्टडी करने वाली है, उनमें ड्रोन स्वार्म से लेकर रोबोटिक्स, लेजर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एल्गोरिद्मिक वॉरफेयर तक शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस स्टडी का मकसद सेना की परंपरागत युद्ध क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ उसे ‘नॉन-काइनेटिक और नॉन-कॉम्बैट’ वॉरफेयर के लिए तैयार करना भी है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए चीन भी कई तरह की तकनीकें विकसित कर रहा है। उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पावर्ड लीदल ऑटोनॉमस वेपन सिस्टम बनाया है।
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भारतीय सेना की नई लैंड वॉरफेयर डॉक्ट्रिन (2018) में पूरी युद्ध रणनीति को और पैना करने पर जोर दिया गया था। इसमें इंटीग्रेटेड बैटल गुप्स (IBGs) से लेकर साइबर वॉरफेयर क्षमता डेवलप करने और लॉन्च-ऑन-डिमांड माइक्रो सैटेलाइट्स, लेजर, AI, रोबोटिक्स जैसे डायरेक्टेड-एनर्जी वेपंस हासिल करने की जरूरत भी बताई गई थी। IBGs ने आकार लेना भी शुरू कर दिया है। यह सेल्फ कन्टेंड फाइटिंग फॉर्मेशंस की सूरत में होंगे जो तेजी से मोबलाइज किए जा सकते हैं। हर IBG में करीब पांच हजार सैनिक होंगे जिनमें इन्फैंट्री, टैंक, आर्टिलरी, एयर डिफेंस, सिग्नल्स और इंजीनियर्स के जवान शामिल होंगे। पिछले साल वेस्टर्न और ईस्टर्न फ्रंट्स पर युद्धाभ्यास में IBGs को शामिल किया जा चुका है।
एक सूत्र ने कहा, ‘भविष्य के युद्धों में तकनीक एक अहम पहलू होगी। नई स्टडी को सात में से एक आर्मी कमांडर लीड कर रहे हैं। इस स्टडी से एक रोडमैप तैयार होगा जिसमें टाइमलान के साथ हर तकनीक पर कितनी लागत आएगी और फायदा कितना होगा, यह सब जानकारी होगी।’ स्टडी में AI, रिमोटली-पायलटेड एरियल सिस्टम्स, ड्रोन स्वार्म्स, बिग डेटा एनालिसिस, ब्लॉकचेन तकनीक, एल्गोरिद्मिक वॉरफेयर, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), वर्चुअल रिएलिटी, ऑगमेंटेंड रिएलिटी, हाइपरसोनिक इनेबल्ड लॉन्ग रेंज प्रिंसिजन फायरिंग सिस्टम, एडिटिव मैनुफैक्चरिग, बायोमैटीरियल इन्फ्यूज्ड इनविजिबिल्टी क्लोक्स, एक्सोस्केलेटन सिस्टम्स, लिक्विड आर्मर, क्वांटम कम्प्यूटिंग, रोबोटिक्स, डायरेक्टेड-एनर्जी वेपंस, लॉइटर और स्मार्ट म्यूनिशंस जैसी तकनीक पर रिसर्च होगी।
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सेना की मिलिट्री प्लानिंग सैनिकों के प्रभावी इंटीग्रेशन और ऐसी तकनीकों के एक युद्ध मशीनरी में बदलने के इर्द-गिर्द घूमेगी। इसके अलावा ‘ग्रे जोन’ वॉरफेयर में क्षमता बढ़ाने पर भी फोकस होगा। फिलहाल सेना के पास जो संसाधन हैं, और जो खरीद की जा रही है उसमें इन तकनीकों के शामिल होने पर बदलाव हो सकता है। एक सूत्र ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इसकी समीक्षा की जाएगी। भारत ने ड्रोन स्वार्म्स या एयर-लॉन्चड स्मॉल एरियल सिस्टम्स को डेवलप करने पर पहले ही थोड़ा काम कर रहा है। अमेरिका के साथ इसपर एक जॉइंट प्रोजेक्ट चल रहा है। यह बाइलेटरल डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव के तहत सात जॉइंट प्रोजेक्ट्स में से एक है।