नई दिल्ली| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दी गई छह महीने की मोरेटोरियम अवधि 31 अगस्त को खत्म होने से ग्राहकों की आफत बढ़ गई है। कोरोना संकट के बीच नौकरी खोने और वेतन कटौती का सामाना कर रहे लाखों लोगों को इस समय लोन की ईएमआई (मासिक किश्त) चुकाना मुश्किल होगा।
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अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार को तेज करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत है। यह काम सरकार कोविड बॉन्ड जारी कर जुटा सकती है। बैंक अभी करीब आठ लाख करोड़ रुपये आरबीआई के पास रखे हुए हैं। उसपर तीन फीसदी का ब्याज उन्हें मिल रहा है।
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छोटे कर्जधारकों और एमएसएमई को बैंकों की ओर से छह महीने तक लोन के मूलधन चुकाने से राहत मिल सकती है। बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि 1 सितंबर से मोरेटियम खत्म होने के बाद लोन रिस्ट्रक्चरिंग के तहत यह राहत देने की योजना है। हालांकि, इसका लाभ सभी को मोरेटोरियम जैसा नहीं मिलेगा।