नई दिल्ली| सोने का आयात चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान 57 प्रतिशत घटकर 6.8 अरब डॉलर या 50,658 करोड़ रुपये रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
कोविड-19 महामारी के बीच मांग में गिरावट के चलते सोने के आयात में कमी आई है। उल्लेखनीय है कि सोने का आयात देश के चालू खाते के घाटे (कैड) को प्रभावित करता है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में सोने का आयात 15.8 अरब डॉलर या 1,10,259 करोड़ रुपये रहा था।
इसी तरह अप्रैल-सितंबर के दौरान चांदी का आयात भी 63.4 प्रतिशत घटकर 73.35 करोड़ डॉलर या 5,543 करोड़ रुपये रह गया। सोने और चांदी के आयात में कमी से देश का चालू खाते का घाटा कम हुआ है। आयात और निर्यात के अंतर को कैड कहा जाता है। अप्रैल-सितंबर में कैड घटकर 23.44 अरब डॉलर रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 88.92 अरब डॉलर रहा था।
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चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में रत्न एवं आभूषणों का निर्यात 55 प्रतिशत घटकर 8.7 अरब डॉलर रहा। भारत दुनिया के सबसे बड़े सोना आयातकों में से है। यहां सोने का आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। भारत सालाना 800 से 900 टन सोने का आयात करता है।
कोरोना के चलते पैदा हुए वित्तीय अनिश्चितता ने सोने की मांग बढ़ाने का काम किया है। इससे सोना इस वर्ष लगभग 25 फीसदी तक महंगा हुआ है। इसका असर घरेलू मांग पर हुआ है। मैनुवेल मालबार ज्वलैर्स के प्रबंध निदेशक एम. मैनुवेल ने कहा कि सोने का भाव 50 हजार पर पहुंच जाने से खुदरा मांग में कमी आई है।
निवेश के लिए जरूर सोना खरीदा गया है लेकिन सोने के गहने की मांग में कमी आई है। इसके चलते पहले छह महीने में आयात में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। हालांकि, दूसरी छमाही में त्योहारी सीजन होने से मांग में तेजी लौटने की पूरी उम्मीद है।
कोरोना संकट के बीच गोल्ड ईटीएफ में गोल्ड निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में निवेशकों ने 597 करोड़ रुपये का निवेश किया। अगस्त में भी इस कटेगिरी में 908 करोड़ रुपये निवेश हुआ था। इस साल की बात करें तो इस गोल्ड ईटीएफ कटेगिरी में अबतक 5,957 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि गोल्ड ईटीएफ में हालिया मिलने वाले रिटर्न की वजह से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।