लंबे समय से चली आ रही परंपरा में महिलाओं के साज श्रृंगार से संबंधित बातें भी बताई गई हैं. लेकिन आज के जमाने में ऐसी प्रथाएं कम ही देखने को मिलती हैं. ये पुराने समय की मान्यताएं हैं और आज के समय में इनका ख़ास औचित्य नहीं रह गया है. आइए जानते हैं महिलाओं के केश से संबंधित प्रथाओं के बारे में पौराणिक ग्रंथों में क्या बताया गया है.
खड़े होकर बाल न झाड़ें, सौभाग्य का होता है नाश
शास्त्रों के अनुसार, महिलाओं को बैठकर बाल झाड़ना चाहिए. कभी भी खड़े होकर बाल नहीं झाड़ने चाहिए. मान्यता है कि अगर आप खड़े होकर बाल झाड़ती हैं तो सौभाग्य का नाश होता है और आपके पति की उम्र घटती है इसलिए आराम से बैठकर ही बाल झाड़ना चाहिए.
सूर्यास्त के बाद न झाड़ें बाल
माना जाता है कि महिलाओं को सूरज ढलने के बाद बाल नहीं झाड़ना चाहिए. हमेशा दिन के टाइम में ही बाल में कंघी करें. ऐसा करने से घर में शुभदायी काम होता है.
दोनों हाथों से न करें खुजली
विष्णु पुराण में इस बात की चर्चा है कि कभी भी महिलाओं को दोनों हाथों से सिर में खुजली नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से श्री यानी धन की हानि होती है. लक्ष्मी नाराज होकर दूर चली जाती हैं और दरिद्रता का वास होता है.
सिंदूर लगाते समय रखें ये ख्याल
यह ध्यान रखें कि उत्तर दिशा में घूमकर हीं बाल झाड़ें और सिंदूर लगाएं. उत्तर दिशा शिव पार्वती की दिशा है. इस दिशा में घूम कर सिंदूर लगाने से शिव पार्वती का वरदान प्राप्त होता है. दक्षिण दिशा में घूमकर सिन्दूर लगाने की सख्त मनाही है.
सोते समय बाल बांध लें
रात को सोते समय इस बात का ध्यान रखें कि बाल अच्छी तरह बंधे हुए हों. कभी भी खुले बाल न सोएं. ऐसा करने से पति के साथ संबंधों में दूरी आ जाती है.
भूल कर भी टेढी मांग न सजाएं
मान्यता है कि महिलाओं को कभी भी टेढ़ी मांग नहीं रखनी चाहिए. समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि ऐसा करने से रिश्तों में दूरियां आती है. तनाव बढ़ता है इसलिए हमेशा यह ध्यान रखें कि मांग हमेशा सीधी हो.