• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

वन वासियों के विकास पर जोर

Writer D by Writer D
14/03/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, राजनीति, विचार, सोनभद्र
0
Emphasis on development of forest dwellers

Emphasis on development of forest dwellers

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडे ‘शांत’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बेहद पते की बात है कि जब तक वनवासियों और आदिवासियों का समग्र विकास नहीं होता तब तक देश का विकास अधूरा है। केंद्र और राज्य सरकारें इनके विकास के लिए साल-दर साल योजनाएं भी लाती हैं। आजादी से आज तक उनके विकासकी योजनाएं ही बन रही हैं लेकिन आदिवासियों औरवनवासियों की माली हालत जस की तस बनी हुई है। इसमें शक नहीं कि जब से केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा के नतृ्तव वाली डबल इंजन  की सरकार बनी है, आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभमिलने लगा है। लेकिन  सरकार को उमभा जैसी हृदय विदारक घटनाओं कोभूलना भी नहीं चाहिए।

आदिवासियों कोजो हक  आजादी के  कुछ वर्षों बाद ही मिल जानाचाहिए, वह आज तक नहीं मिल सका है। विकास की मुख्य धारा से वे लंबे समय से कटे रहे हैं। यह और बात है कि कुछ स्वयंसेवी संगठन  उनकी मदद के नाम पर  जंगलों की जमीन पर काबिज हो रहे हैं। सेवाकी आड़ में क्या कुछ नहीं हो रहा है। एक स्वयंसेवी संगठन के निदेशक को  भोली-भाली  आदिवासी  युवतियों के वस्त्रों में हाथ डालने और अश्लील हरकत करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ईसाई मिशनरियों का अरबों-खरबों का कारोबार भी आदिवासियों और वनवासियों की सेवा केनाम परही हो रहाहै। धर्मांतरण का धंधा भी इस बहाने खूब फल-फल रहा है। संघ परिवार के वनवासी केंद्र न होते तो धर्मांतरण का ग्राफ कुछ ज्यादा ही होता।

मां विंध्यावासिनी के दरबार में पहुंचे राष्ट्रपति, सपत्नी किया मां का श्रंगार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तरप्रदेश में सर्वाधिक आदिवासी विंध्य क्षेत्र के दो जिलों मिर्जापुर और सोनभद्र में रहते हैं। उनके विकास की योजनाएं न केवल बनाई जा रही है बल्कि उसे लाभार्थियों तक पहुंचाने की हर संभव कोशिश भी की जा रही है।  मुख्यमंत्री ने सोनभद्र जिले में जहां मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की है, वहीं वर्षांत तक मिर्जापुर और सोनभद्र जि लेके गांव-गांव तक नल जल पहुंचाने का दावा किया गया है और कहा है कि ऐसा होने से आदिवासियों को बहुत हद तक बीमारियों से बचाना मुमकिन हो सकेगा।

मुख्यमंत्री का वनवासियों के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। होली- दीपावली जैसे त्यौहारवे वनटांगियां मजदूरों के साथ मनाते रहे हैं। मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड,उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की स्थिति बेहद दयनीय है, इस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।  आदिवासी जंगल में रहते हैं। उनके घर लकड़ियों से बनते हैं। वन विभाग पहली बात तो उनके जंगल में रहने पर ही आपत्ति करता है जबकि सच यह है कि आदिवासियों की बदौलत ही जंगल सुरक्षित हैं। आदिवासी जंल और नदी को अपनी मां मानते हैं और उसकी रक्षा के लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं।

सीएम योगी ने सोनभद्र को दिया नए मेडिकल कॉलेज का तोहफा

वन विभाग वन माफियाओं पर तो कार्रवाई नही कर पाता लेकिन  अपने घर के लिए जरा सी लकड़ी काटने पर वनवासियों पर मुकदमे जरूर कर देता है। यह स्थिति ठीक नहीं है। आदिवासियों के विकास में मुकदमेबाजी भी सबसे अधिक बाधक है। अगर सरकार वनवासियों का वाकई विकास चाहती है तो उसे उनकी समस्याओं पर भी विचार करना होगा। उन्हें कुछ ढील देनी होगी। क्षेत्र में नक्सलियों और चरमपंथियों की जरा सी हरकत सभी वनवासियों को शक के घेरे में लादेती है। नक्सली उन्हें पुलिस का भेदिया मानते हैं और पुलिस उन्हें नक्सलियों का समर्थक, ऐसे में  वनवासी दोहरी मार झेलने को अभिशप्त होते हैं। दुहु भांति दुखभयो दुसह यह कौन उबारै प्रान। अब की राखलेहु भगवान की मानसिकता के बीच वे आखिर कब तक गुजर बसर करें। कोई तो राह निकलनी चाहिए।

नक्सल प्रभावित सोनभद्र में आदिवासी बच्चों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था करे प्रशासन : योगी

सरकार को योजनाबद्ध तरीके से वनवासियों के जीवन में बदलाव लाना होगा। उन्हें शिक्षा और रोजगार से जोड़ना होगा। उनके विकास में किसी भी तरह का राजनीतिक दिखावा नहीं होना चाहिए।  आदिवासियों के नाम पर एनजीओ देश-विदेश, यहां तक कि केंद्र और राज्य सरकारों से भी भारी अनुदान प्राप्त करते हैं लेकिन वह राशि आदिवासियों की भलाई पर कितना खर्च  होती है, इसकी निरंतर जांच होते रहनी चाहिए।  वन्य जीवों से भी वनवासियों के जीवन पर खतरे मंडराते रहते हैं, इस दिशा में भी सोचा जाना चाहिए। अंग्रेजों ने वनवासियों के साथ जिस तरह का दमनात्मक रवैया अपनाया, आजाद भारत में भी अगर वही सब होता रहेगा तो फिर आजादी का औचित्य ही क्या बचेगा?  अच्छा होता कि सरकारी योजनाओं कापाई-पाईदलित-वंचित और उपेक्षित तबके पर खर्च होता। एक भी व्यक्ति अगर विकास से वंचित रह गया तो देश का विकास अपने अर्थ खो देता है। इस बात को जितनी जल्द समझा जाए, उतना ही उचित होगा।

Tags: cm yogipresident Ramnath Kovindsonbhadra newsup news
Previous Post

पिता-पुत्र ने खाया जहर, बेटे की मौत, जांच में जुटी पुलिस

Next Post

ममता की सुरक्षा में चूक को लेकर बड़ी कार्रवाई, दो अधिकारी निलंबित, DM का तबादला

Writer D

Writer D

Related Posts

Azam Khan
Main Slider

मुझे राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन अब तो… आजम खान का छलका दर्द

03/10/2025
Idli Chaat
Main Slider

यह डिश नाश्ते में लगा देगी चार चांद, रोज होगी बनाने की डिमांड

03/10/2025
Papankusha Ekadashi
Main Slider

आज रखा जाएगा पापांकुशा एकादशी व्रत, जानें इसका महत्व

03/10/2025
Panchak
Main Slider

आज से लग रहे है चोर पंचक, गलती से भीं करें ये काम

03/10/2025
Sharad Purnima
Main Slider

कब मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा? जानें पूजा विधि और मुहूर्त

03/10/2025
Next Post

ममता की सुरक्षा में चूक को लेकर बड़ी कार्रवाई, दो अधिकारी निलंबित, DM का तबादला

यह भी पढ़ें

Ekta Kapoor's studio came under fire

एकता कपूर का स्टूडियो एक धमाके से आया आग की चपेट में

30/06/2021

Mahindra की SUV पर मिल रही है भारी छूट, जानें किस पर कितना मिलेगा डिस्काउंट

18/09/2021
Masik Shivratri

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीजें, प्रसन्न होंगे महादेव

26/02/2025
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version