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 म्यांमार में चिंताजनक हिंसा

Writer D by Writer D
20/03/2021
in Main Slider, अंतर्राष्ट्रीय, क्राइम, ख़ास खबर
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violence in Myanmar

violence in Myanmar

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सियाराम पांडे ‘शांत’

म्यांमार में  15 मार्च 2021 को सेना ने 24 घंटें में 50 से ज्यादा  प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया। साथ ही देश के कई हिस्सों में लोगों को और ज्यादा डराने के लिए मार्शल लॉ लगा दिया है। मार्शल लॉ जिन क्षेत्रों में लगाया गया है, उसमें पुरानी राजधानी यंगून के दो जिलों सहित मांडले का इलाका भी शामिल है। लेकिन सेना की यह डरावनी कार्यवाही भी अब आम लोगों को डरा नहीं पा रही,लगता है वह पहले से ही मानकर चल रहे हैं कि सेना तो ऐसा करेगी ही, इसलिए अब महिलाएं  भी सेना के डराने से घर वापस नहीं जा रहीं। इसलिए भी म्यांमार की सेना खिसिया गयी है। इस खिसियाहट में सेना ने फिलहाल तो अपना दमन तेज कर दिया है लेकिन सेना के बड़े अधिकारी जानते हैं कि सेना इसे जारी नहीं रख सकती।

गौरतलब है कि एक फरवरी को म्यांमार की सेना ने एनएलडी यानी आंग सांग सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सत्ता का तख्ता पलट दिया था। इस बगावत के बाद सेना ने सत्ता पर कब्जा करके आंग सान सू की को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन सेना द्वारा इतना  भयाक्रांत करने के बाद भी तब से लेकर आज तक न तो म्यांमार की जनता सेना से डरी है और न ही अपनी लोकतांत्रिक नेता सू की को भ्रष्टाचारी मानने को तैयार हुई है। आम जनता खुलेआम कह रही है कि सेना के ये सब आरोप मनगढ़ंत हैं। पूरे म्यांमार में आम जनता लगातार सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए सू की की रिहाई की मांग कर रही है। सेना कह रही है कि सू की राजनीतिक पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में धांधली की थी, लेकिन इस धांधली का उसने आज तक कोई सबूत नहीं दिया।

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सेना ने सिर्फ सू की को ही नहीं बल्कि सभी बड़े एनएलडी नेताओं को गिरफ्तार कर अज्ञात स्थानों में जेल में डाल दिया है। लेकिन इस सबके बावजूद आम जनता द्वारा सेना का किया जा रहा विरोध जारी है। एक फरवरी 2021 को गिरफ्तार करने के बाद से सेना द्वारा सू की को लगातार अज्ञात जगह पर रखा गया है। लेकिन उनके समर्थक जरा भी हताश नहीं हैं न ही उनका मनोबल गिरा है। 15 मार्च 2021 को सेना सू की को ऑनलाइन अदालत में पेश करने वाली थी, लेकिन ऐन वक्त पर इंटरनेट की समस्या के कारण वर्चुअल सुनवाई रद्द कर दी गई। गौरतलब है कि जहां-जहां मार्शल लॉ लगा है, वहां प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सैन्य अदालत में मामले चलेंगे। सेना के मुताबिक यंगून इलाके के हैंगथाया में प्रदर्शनकारियों ने एक चीनी फैक्टरी को आग के हवाले कर दिया, जिस कारण सेना को उन पर फायरिंग करनी पड़ी।

जबकि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आग लोगों ने नहीं सेना ने ही लगाईं है। बहरहाल इस फायरिंग में 22 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी। सेना ने दूसरी तमाम जगहों पर भी फायरिंग कर 15 मार्च 2021 को  50 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। म्यांमार में तख्तापलट के बाद से अब तक सेना के हाथों 150 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और करीब 4000 लोगों को अभी तक हिरासत में लिया जा चुका है। जबकि सेना कुछ और ही कहानी गढ़ रही है। सेना द्वारा संचालित टीवी चैनल के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने यंगून के हैंगथाया इलाके की 4 गारमेंट और एक फर्टिलाइजर फैक्टरी में आग लगा दी थी। जिसे बुझाने के लिए मौके पर फायर ब्रिगेड को रवाना किया गया। लेकिन करीब 2,000 लोग फायर ब्रिगेड को रोकने का प्रयास कर रहे थे। हालात बेकाबू होने के बाद सेना को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें कुछ लोग मारे गए। बहरहाल सेना कुछ कहे उसके इस दमन की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है। संयुक्त  राष्टÑ के महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने इस हिंसा की जबर्दस्त निंदा की है।

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संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक म्यांमार में प्रदर्शनकारियों के साथ सैन्य बर्बरता की खबरें लगातार आ रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि सेना के खिलाफ सभी एकजुट हों। संयुक्त राष्ट्र ने दावा किया है कि वह उन क्षेत्रीय नेताओं और सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संपर्क में है, जो म्यांमार के हालात को सुधारने के प्रयास में लगे हुए हैं। मालूम हो कि म्यांमार में सेना ने एक फरवरी की आधी रात तख्तापलट करके लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की तथा राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से ही पूरे देश में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं। सेना द्वारा तख्तापलट का कारण यह बताया गया कि एनएलडी ने पिछले साल चुनावों में जिस तरह लोअर हाउस की 330 में से 258 और अपर हाउस की 168 में से 138 सीटें जीती थीं, वह सब घपलेबाजी के बिना संभव नहीं।

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वास्तव में पिछले साल हुए चुनावों में यहां सेना समर्थित यूनियन सलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीत पायी थी, इसी से सेना बौखलाई हुई है। बताते चलें कि इस पार्टी के नेता थान हिते हैं, जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके हैं। सेना को जब से लग रहा है कि उसके द्वारा लगाए गए चुनाव धांधलेबाजी के आरोप को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे तो उसने अब आंग सान सू की पर 11 किलो सोना और छह लाख डॉलर की घूस लेने,अवैध रूप से रेडियो उपकरण रखने और कोविड नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है।

दरअसल सेना ऐसा तिकड़म बना रही है कि अदालत सू की को किसी तरह चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दे। लेकिन फिलहाल म्यांमार में जनता सड़कों पर उतरी हुई है। लोगों ने बगावत को स्वीकार करने से इन कार कर दिया है। तमाम चुने हुए नेताओं ने भूमिगत रहते हुए एक नया ग्रुप बना लिया है, ‘कमेटी फॉर रिप्रजेंटिंग द यूनियन पार्लियामेंट (सीआरपीएच)। लेकिन सेना सीआरपीएच को गैर कानूनी बताती है और उसने चेतावनी दी है कि अगर कोई इस ग्रुप के साथ काम करेगा, तो उस पर देशद्रोह का मुकदमा चलेगा। क्योंकि जनरल मिन अन्ग ह्लाइंग ने देश में एक साल का आपातकाल लगा दिया है। लेकिन लोग सेना की इस चेतावनी की भी अनसुनी कर रहे हैं, सेना आम लोगों की इस बेफिक्री से बहुत परेशान है। उसे इतने विरोध प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी लेकिन अब जनता सैन्य तानाशाही को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं दिख रही है और यही मिलिट्री  की परेशानी का सबब  है।

Tags: crime newsinternational Newsviolence in Myanmar
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