राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शुक्रवार को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से एक विशेष प्रेसीडेंशियल ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना होंगे। यह पहला अवसर है, जब राष्ट्रपति अपना वर्तमान कार्यभार संभालने के बाद अपने जन्मस्थान का दौरा करेंगे। वे पहले ही उस स्थान का दौरा करना चाहते थे, लेकिन महामारी के कारण योजनाएं अमल में नहीं आ सकीं।
राष्ट्रपति सचिवालय ने बुधवार को राष्ट्रपति कोविन्द की उत्तर प्रदेश दौरे की जानकारी साझा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति 25 जून को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से एक विशेष प्रेसीडेंशियल ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना होंगे। राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अपने दो दिवसीय दौरे के लिए 28 जून को कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से ट्रेन में सवार होंगे। 29 जून को वे विशेष विमान से नई दिल्ली लौटेंगे।
यह ट्रेन कानपुर देहात के झींझक और रूरा दो स्टेशनों पर ठहरेगी। दोनों ही स्टेशन राष्ट्रपति के जन्मस्थान कानपुर देहात के गांव परौंख के करीब हैं, जहां 27 जून को उन्हें सम्मानित करने के लिए दो कार्यक्रम निर्धारित हैं। वहां राष्ट्रपति कोविन्द अपने स्कूल के दिनों और अपनी सामाजिक सेवा के शुरुआती दिनों के पुराने परिचितों से बातचीत करेंगे।
यह 15 साल की लंबी अवधि के बाद होगा कि एक मौजूदा राष्ट्रपति रेल यात्रा करेंगे। आखिरी बार किसी राष्ट्रपति ने ट्रेन से यात्रा 2006 में की थी, जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में कैडेटों की पासिंग आउट परेड में भाग लेने के लिए दिल्ली से देहरादून के लिए एक विशेष ट्रेन में सवार हुए थे।
रिकॉर्ड बताते हैं कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अक्सर रेल यात्राएं करते थे। राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद उन्होंने बिहार की अपनी यात्रा के दौरान सीवान जिले में अपने जन्मस्थान, जीरादेई का दौरा किया था। वह छपरा से विशेष प्रेसीडेंशियल ट्रेन में सवार होकर जीरादेई पहुंचे, जहां उन्होंने तीन दिन बिताए। उन्होंने देश भर में ट्रेन से यात्रा की। डॉ. प्रसाद के बाद अन्य राष्ट्रपतियों ने भी देश के लोगों से जुड़ने के लिए रेल यात्रा को प्राथमिकता दी।