लोक सेवा आयोग की भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा (आइएसएस) में लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले चार पूर्व छात्र-छात्राओं का चयन हुआ है। इनमें आल ओवर इंडिया आंचल जैन ने 8वीं रैंक, भावना मिश्रा 13वीं, दिव्यांशू मिश्रा 14वीं और नितेश कुमार मिश्रा ने 17वीं रैंक हासिल कर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया है। शुक्रवार को देर रात जारी हुए रिजल्ट की सूचना जब शनिवार दोपहर तक विश्वविद्यालय प्रशासन को लगी तो कुलपति व डीन ने सफल विद्यार्थियों को बधाई दी।
कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि विद्यार्थियों की सफलता से नये विद्यार्थियों को भी सीख लेनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय को ऐसे विद्यार्थियों पर गर्व है। लखनऊ विश्वविद्यालय हमेशा विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने का काम करता रहा है।
अपनी सफलता के संबंध में आंचल जैन ने बताया कि मुझे तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली। लविवि से 2017 में एमएससी करने के बाद तैयारी शुरू कर दी थी। पहले प्रयास में लिखित परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन फाइनल चयन नहीं हो पाया था। दूसरे प्रयास में लिखित में भी नहीं हुआ। कुछ निराश हुई, फिर शिक्षकों ने समझाया कि हार नहीं माननी है। पापा दुर्गेश कुमार मिश्रा और मां का पूरा सहयोग रहा। जिस दिन इंटरव्यू था, उसी दिन पापा का कैंसर का आपरेशन भी था।
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वहीं सफल भावना मिश्रा ने कहा कि लविवि से 2013 से 2018 तक बीएससी और एमएससी सांख्यिकी की पढ़ाई की। एक साल लाल बहादुर शास्त्री हास्टल में रहने के बाद फिर अपनी बुआ के घर रहकर पढ़ाई पूरी की। उसके बाद तैयारी कर भारतीय सांख्यिकी सेवा की लिखित परीक्षा में पास हो गया, लेकिन ओवरआल मेरिट में चयन नहीं हुआ। दोबारा परीक्षा दी और अब फाइनल चयन हुआ है। पापा गौरव कुमार मिश्र किसान हैं। माता प्रभा मिश्रा गृहणी हैं।
14वीं रैंक पाने वाले दिव्यांशु मिश्र ने बताया कि वर्ष 2018 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी सांख्यिकी 75 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण किया था। इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री हास्टल और हबीबुल्ला हास्टल में रहकर पढ़ाई की। फिर तैयारी शुरू कर दी। लिखित परीक्षा पास होने के बाद 2019 में भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा के लिए इंटरव्यू दिया। लेकिन चयन नहीं हुआ। हिम्मत नहीं हारी और फिर तैयारी की। अब सफलता मिली है। पापा राकेश कुमार मिश्र और मां सीमा मिश्र का इसमें अहम योगदान है।