हर बहन रक्षाबंधन के त्योहार का इंतजार बड़ी ही बेसब्री से करती है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का अधिक महत्व है। यह भाई-बहन का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार वैदिक विधि से मनाना श्रेष्ठ माना गया है। इस विधि से मनाने पर भाई का जीवन सुखमय और शुभ बनता है। शास्त्रानुसार इसके लिए पांच वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जिनसे रक्षासूत्र का निर्माण किया जाता है।
वैदिक राखी तैयार करने की विधि
दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चन्दन और सरसों के दाने आदि शामिल करें और इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावे में पिरो दें। इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी।
वैदिक राखी में शामिल इन 5 चीजों का महत्व-
दूर्वा (घास)
कहा जाता है कि जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है। ठीक उसी प्रकार यह कामना की जाती है कि भाई का वंश और उसमें सदगुणों का विकास तेजी से हो।
अक्षत (चावल)
हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य करने या पूजा के दौरान चावल को शमिल किया जाता है। राखी में चावल शामिल करने का मतलब हमारी परस्पर एक दूजे के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो और यह सदा अक्षत रहे ।
केसर
केसर की प्रकृति तेज होती है। इसका मतलब यह है कि हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।
चंदन
चंदन की प्रकृति शीतल होती है और हमेशा सुगंधित रहता है। उसी प्रकार भाई के जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।
सरसों के दाने
इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, संकटों को समाप्त करने में हम तेज बनें। सरसो के दानों का प्रयोग भाई की नजर उतारने और बुरी नजर से बचाने के लिए भी किया जाता है।