आमलकी एकादशी (Amalki Ekadashi) व्रत के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा आंवले (Amla) के पेड़ के नीचे करने का विधान है। इस दिन आंवले के पेड़ की भी पूजा करते हैं और उसके फल को खाते हैं। भगवान विष्णु ने आंवले के पेड़ की उत्पत्ति की थी और उसे दिव्य पेड़ बताया था।
इस साल आमलकी एकादशी (Amalki Ekadashi) व्रत 14 मार्च दिन सोमवार को है। इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं उनको व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करना चाहिए, इससे तीन लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति, जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और पाप एवं कष्ट मिट जाते हैं। आइए जानते है आमलकी एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha) और उसके लाभ (Benefits) के बारे में।
आमलकी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा में आमलकी एकादशी के बारे में बताया गया है। जिसके अनुसार, भगवान श्रीहरि विष्णु की नाभि से सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी प्रकट हो गए थे। उसके बाद उनके मन में यह जानने की इच्छा हुई कि वह कौन हैं? उनके जीवन का उद्देश्य क्या है? उनका जन्म कैसे हुआ है? इस सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए उन्होंने भगवान विष्णु की तपस्या आरंभ कर दी।
काफी वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद एक दिन भगवान विष्णु प्रसन्न हुए। उन्होंने ब्रह्मा जी को दर्शन दिया। इतने वर्षों के तप से भगवान विष्णु को अपने समक्ष पाकर ब्रह्म देव भावुक हो गए। उनके दोनों आंखों से आंसू निकल पड़े। उन आंसुओं से ही आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई।
यह देखकर भगवान विष्णु ने कहा कि आंवले का पेड़ आपके आंसुओं से उत्पन्न हुआ है, इसलिए यह पेड़ और इसका फल उनको प्रिय है। यह एक दिव्य पेड़ है, इसमें समस्त देवताओं का वास होगा। श्रीहरि विष्णु ने कहा कि आज से जो भी फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर उनकी पूजा करेगा, विधिपूर्वक एकादशी व्रत रखेगा, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी।
इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाएगा। उसे मोक्ष मिलेगा। उसके समस्त पाप और दुख मिट जाएंगे। मनोकामनाएं पूरी होंगी। इस प्रकार से आमलकी एकादशी व्रत का प्रारंभ हुआ। इस दिन आंवले के पेड़ और उसके फल का विशेष महत्व होता है।