बाराबंकी। होली (Holi) के त्यौहार के मद्देनजर बाजार में इस समय रेडीमेड सामग्री की भरमार है। शहर सहित जिले के कस्बों की बाजारों में अधिकांश अपमिश्रित व अमानक सामग्री (adulterated material ) भी धड़ल्ले से बिक रही है। जो लोगों का स्वास्थ्य खराब कर सकती है। इसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग खामोश तमाशबीन बना हुआ है। जांच के नाम पर शहरी व कस्बाई इलाकों में कुछ नमूने संग्रहीत कर खानापूर्ति की जाती है लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकल पाता है क्योंकि न तो समय पर इसकी जांच ही हो पाती है और न ही इसका कोई निष्कर्ष निकलता है।
जिला मुख्यालय से सटे इलाकों में इस समय होली पर्व के मद्देनजर खाद्य सामग्री जैसे कचरी, नमकीन, गुझिया, पापड़, चिप्स, खोया आदि बड़े पैमाने पर तैयार करके बाजार में उतारा जाता है। अधिकांश सामग्रियों को सस्ते मूल्य पर बेचने व अधिक लाभ पाने की जद्दोजहद में स्वास्थ्य को नुकसान करने वाले पदार्थों व रंगों का मिश्रण किया जाता है।
इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग है लेकिन वह या तो सब कुछ जानकर भी बेखबर है या चिर निद्रा में सोया हुआ है। दोनों ही स्थितियों में वह अपने कर्तव्यों की अनदेखी कर रहा है। जिसका प्रमाण यह है कि विभाग शहर व शहर से सटे क्षेत्र को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में छापेमारी कर नमूने संग्रहीत करता है।
जबकि सच्चाई यह है कि शहर व शहर से सटे इलाकों में यह कार्य बड़े पैमाने पर होता है। ऐसे में बड़े पैमाने पर अपमिश्रित सामग्री बाजारों में पटी पड़ी है। इनमें से अधिकांश ऐसी खाद्य सामग्रियां हैं जिनका न तो कोई ब्रांड है और न ही उनका कोई पंजीकरण है। यहां तक कि ऐसी सामग्री बनाने वाले लोगों को मिश्रण का सही मानक भी नहीं पता है।
मानक के विपरीत जिले में सैकड़ों की संख्या में चल रहीं इकाइयां लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। स्वास्थ्य विभाग ही इसके लिए जिम्मेदार है लेकिन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में उन्हें कोई रुचि नहीं ने रहा है।
समय-समय पर चलाया जाता है अभियान
जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रियंका सिंह का कहना है कि समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। अभियान के तहत नमूने संग्रहीत किये जाते हैं और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। रिपोर्ट के आधार कार्रवाई भी की जाती है।