ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) है क्योंकि यह व्रत रविवार के दिन है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है. जून का पहला प्रदोष व्रत या रवि प्रदोष व्रत 12 जून दिन रविवार को है. इस बार का रवि प्रदोष व्रत शिव और सिद्ध योग में होने के कारण अत्यंत ही फलदायी है. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं रवि प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में.
रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) तिथि
पंचांग के आधार पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 12 जून दिन रविवार को तड़के 03 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो रहा है. इस तिथि का समापन देर रात 12 बजकर 26 मिनट पर होगा. ऐसे में शाम को प्रदोष पूजा का मुहूर्त 12 जून को प्राप्त हो रहा है, इसलिए रवि प्रदोष व्रत 12 जून को ही रखा जाएगा.
रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) पूजा मुहूर्त
12 जून को रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 20 मिनट तक है. इस दिन आपको शिव पूजा के लिए दो घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा.
शिव और सिद्ध योग में प्रदोष व्रत
रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन शिव योग और सिद्ध योग बनेंगे. शिव योग सुबह से लेकर शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, उसके पश्चात सिद्ध योग होगा, जो पूरी रात रहेगा. ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माने जाते हैं.
12 जून को रवि योग भी बन रहा है, जो रात 11 बजकर 58 मिनट से 13 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त मुहूर्त 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है.
रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) का महत्व
प्रदोष व्रत रखने से धन, आयु, बल, पुत्र आदि सबकुछ प्राप्त होता है. दिन के आधार पर इस व्रत का महत्व अलग अलग होता है. रविवार के दिन का प्रदोष व्रत, जो रवि प्रदोष व्रत होता है, इसके करने से लंबी आयु प्राप्त होती है और रोग आदि से मुक्ति भी मिलती है.