इस साल सावन माह (Sawan Month) का प्रारंभ 14 जुलाई दिन गुरुवार से हो रहा है. सावन को श्रावण मास भी कहते हैं. यह माह भगवान शिव का सबसे प्रिय मास है. इस माह के सावन सोमवार व्रत के लिए जितनी प्रतीक्षा की जाती है, उतना ही मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) के लिए भी. सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. यह व्रत माता पार्वती के लिए रखते हैं. अबकी बार सावन में 4 मंगला गौरी व्रत हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि सावन का मंगला गौरी व्रत कब कब है और इस व्रत का महत्व क्या है?
सावन 2022 का प्रारंभ
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ: 14 जुलाई, 12:06 एएम से
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का समापन: 14 जुलाई, रात 08:16 पीएम पर
सावन मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat)
19 जुलाई, 2022: सावन का पहला मंगला गौरी व्रत
26 जुलाई, 2022: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत
02 अगस्त, 2022: सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत
09 अगस्त, 2022: सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत
सवार्थ सिद्ध योग में पहला मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat)
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) सवार्थ सिद्ध योग में है. इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं. इस दिन व्रत और पूजा का पूर्ण लाभ प्राप्त होगा. 19 जुलाई को पहले मंगला गौरी व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 35 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है. इस मुहूर्त में आपको माता पार्वती की पूजा कर लेनी चाहिए.
इस दिन रवि योग भी सुबह 05:35 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक है, हालांकि सुकर्मा योग दोपहर को 01 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, जो पूरी रात तक रहेगा. ये तीनों योग शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं.
मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) का महत्व
माता पार्वती का दूसरा नाम गौरी भी है, यह उनके गौर वर्ण के कारण है. सावन का मंगला गौरी व्रत करने और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने पर अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है. सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत रखती है. इस व्रत के प्रभाव से संतान से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं.









