मॉस्को। सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) का निधन हो गया। 91 साल के गोर्बाचेव लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। उन्होंने बिना युद्ध किए ही शीत युद्ध को खत्म करा दिया था, यानी बिना खून खराबे के कोल्ड वॉर खत्म करवाया था। हालांकि, वो सोवियत संघ के पतन को रोक नहीं पाए थे। मिखाइल (Mikhail Gorbachev) सोवियत संघ के 8वें और आखरी राष्ट्रपति थे।
गोर्बाचेव सोवियत संघ के एक बेहद प्रभावशाली नेता थे। उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। उनके निधन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने शोक जताया है। आज मॉस्को में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सोवियत संघ का पतन एक ट्रैजडी, गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) इसके जिम्मेदार
गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) विवादास्पद व्यक्ति रहे। पुतिन के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं थे। पुतिन सोवियत संघ के टूटने को ट्रैजडी मानते हैं। इसके लिए गोर्बाचेव को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। पुतिन के साथ कई रूसी नेता ये मानते हैं कि सोवियत संघ के टूट जाने के बाद रूस कमजोर पड़ा गया और उसकी इकोनॉमी गिर गई। इस समय रूस आर्थिक संकट का सामना कर रहा था।
1990 में दिया गया नोबल प्राइज
गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) ने ग्लासनोस्त यानी अभिव्यक्ति की आजादी की नीति का भी समर्थन किया। सोवियत संघ के बिखरने के बाद गोर्बाचेव ने रूसी मीडिया और कला जगत को आजादी दी थी। उन्होंने सरकार पर कम्यूनिस्ट पार्टी की पकड़ ढीली करने के लिए कई क्रांतिकारी सुधार किए।
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उसी दौरान हजारों पॉलिटिकल प्रिजनर्स और कम्युनिस्ट शासन के आलोचकों को भी जेल से रिहा किया गया था। गोर्बाचेव ने अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डिस्आर्मामेंट एग्रीमेंट किया था। कोल्ड वॉर शांतिपूर्वक खत्म करने के लिए उन्हें 1990 में नोबेल प्राइज भी दिया गया था।