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जानिए होलिका दहन के बाद क्यों मनाया जाता है धुलेंडी पर्व

Writer D by Writer D
17/03/2024
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
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Holi

Holi

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होलिका दहन (Holika Dahan) के अगले दिन रंग-गुलाल वाला धुलेंडी (Dhulendi) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोगों पर रंगों का खुमार चढ़कर बोलता है। इस दिन हर कोई सब गिले-शिकवे भुला एक-दूसरे के रंग में रंग जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर धुलेंडी की शुरुआत कैसे हुई।

जानिए रंगों का यह त्योहार धुलेंडी (Dhulendi)  मनाने का कारण। आपको बता दें कि धुलेंडी को धुलंडी, धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन जैसे नामों से भी जाना जाता है।

धुलेंडी पर्व (Dhulendi)  का उल्लेुख पुराणों में भी मिलता है। इसके मुताब‍िक चैत्र शुक्ला प्रतिपदा तिथ‍ि को धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे दो कथाएं प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार धलुंडी के दिन भोलेनाथ ने कामदेव को उनकी तपस्याा भंग करने के प्रयास में भस्मक कर दिया था। लेकिन देवी रति की प्रार्थना पर उन्होंोने कामदेव को क्षमा दान देकर पुर्नजन्म  दिया। इसके साथ ही देवी रति को यह वरदान दिया कि वह श्रीकृष्णक के पुत्री रूप में जन्मष लेंगी। कामदेव के पुर्नजन्मइ और देवी रति को प्राप्त  वरदान की खुशी में संपूर्ण विश्वो में फूलों की वर्षा हुई।  इसी कारण इस पर्व को धूमधाम से मनायाजाता है।

दूसरी कथा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद के कारण मनाई जाती हैं। इसके अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती।

भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ। जब भक्त प्रह्लाद बच गए तो सपूर्ण ब्रह्मांड में खुशी की कहर दौड़ गई और चारों ओर फूलों की बारिश हुई। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में धुलेंडी (Dhulendi)  का पर्व मनाया जाने लगा।

Tags: DhulendiDhulendi 2024Holiholi 2024holi celebrationholi importanceHolika Dahan
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