रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली की एक अदालत ने दहेज उत्पीड़न व हत्या (Dowry Death ) के मामले में चार दोषियों को दस वर्ष सश्रम कारावास और पन्द्रह हज़ार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अभियोजन अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने गुरुवार को बताया कि अपर जिला जज द्वितीय प्रभात कुमार यादव की अदालत ने दहेज उत्पीड़न व हत्या (Dowry Death ) के चार दोषियों को 10 वर्ष सश्रम कारावास और 15 हज़ार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
उन्होंने बताया कि करीब दस वर्ष पहले संदिग्ध हालात में शिवकुमारी की मृत्यु जलकर हुई थी। पति विनोद मौर्य की शिवकुमारी से दूसरी शादी सन 2008 में हुई थी।
विनोद और उसके परिवार के लोग शिवकुमारी के मायके वालो से सोने की चेन और मोटरसाइकिल की मांग कर रहे थे। लेकिन उसके आर्थिक रूप से कमजोर मायके वालों की ससुराल पक्ष की मांग पूरी करने की हैसियत नही थी। संदिग्ध परिस्थितियों में मृतका की एक दिन जल कर मौत हो गयी। पोस्टमार्टम से यह भी पता चला कि मृतका मृत्यु के समय गर्भवती थी।
मृतका के भाई देशराज ने बहन के ससुराल पक्ष पर दहेज उत्पीड़न और हत्या (Dowry Death ) का मुकदमा दर्ज कराया। आरोप लगाया गया कि मृतका को मिट्टी का तेल डाल जलाया गया है। तमाम गवाह और साक्षो के आधार पर न्यायालय ने मृतका के पति विनोद समेत उसके जेठ मनोज, सास जनक दुलारी और जेठानी सीता देवी को आईपीसी की धारा 304बी व दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत 10 वर्ष के कारावास व 15 हज़ार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। मुकदमे में राज्य की ओर से पैरवी करने वाले अभियोजन अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने सराहनीय योगदान दिया।