29 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत हो चुकी है, पितृ पक्ष 14 अक्टूबर तक रहेंगे। पितृपक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म के साथ-साथ कई उपाय भी किए जाते हैं। इन कार्यों से पितर प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। वहीं, अगर श्राद्ध कर्म ढंग से न किया जाए, तो पितरों की नाराजगी से गुजरना पड़ता है। पितरों के नाराज होने के कारण जातक को पितृ दोष से गुजरना पड़ता है। समय रहते ही पितृ दोष (Pitra Dosh ) से जुड़े कुछ उपाय कर लेने चाहिए, जिससे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
पितृ दोष (Pitra Dosh ) के लक्षण
यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष (Pitra Dosh ) होता है, तो उसे कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। पितृ दोष के कारण घर की खुशियां चली जाती हैं और व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। ऐसे घर में हमेशा नकारात्मकता बनी रहती है और परिवार के सदस्यों में क्लेश होता रहता है।
इन गलतियों के कारण लगता है पितृ दोष (Pitra Dosh)
>> यदि आप अपने पितरों का अपमान करते हैं, तो ऐसे में पितृ दोष (Pitra Dosh ) का सामना करना पड़ता है।
>> यदि आप किसी सांप को मारते हैं, तो ऐसे में भी पितृ दोष लग सकता है।
>> पितरों का सही ढंग से या अधूरा अंतिम संस्कार किया जाए, तो भी व्यक्ति को पितृ दोष लग सकता है।
>> यदि पितरों का श्राद्ध न किया जाए, तो भी पितृ नाराज हो जाते हैं और पितृ दोष लगता है।
>> माना जाता है कि पीपल, नीम, बरगद आदि के पेड़ को कटवाने पर भी पितृ दोष लग सकता है।
करें ये उपाय
– पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का समय पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पूरे विधि-विधान से अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करें। इससे पितर प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं और जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं।
– पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में प्रतिदिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए। जल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में अर्घ्य दें। दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। इस उपाय को करने से पितृ दोष समाप्त होता है।