रेमंड कंपनी के चेयरमैन गौतम सिंघानिया और उनकी पत्नी नवाज मोदी सिंघानिया के तलाक की खबरें आपने हाल में पढ़ी होंगी। इसमें नवाज मोदी सिंघानिया ने तलाक के ऐवज में पति की नेटवर्थ का 70% मांगा है जो 8,700 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम है। खैर ये हुई बड़े लोगों की बात, लेकिन तलाक के मामलों में आम आदमी को भी काफी कुछ झेलना पड़ता है। तलाक के मामलों में जीवनसाथी को मेंटेनेंस देना कई बार एक ही पक्ष पर भारी पड़ता है, लेकिन हाल में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ‘मेंटेनेंस’ (Maintenance) को लेकर बड़ी बात कही है।
हाल में दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने तलाक के एक मामले की सुनवाई के दौरान पति-पत्नी के खुद काम करने पर जोर दिया। न्यायमूर्ति वी। कामेश्वर राव और अनूप कुमार मेंदिरत्ता की पीठ ने एक महिला के मेंटेनेंस (Maintenance) के दावे को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि वह काफी पढ़ी-लिखी थी और खुद काम करने में सक्षम थी। यहां तक कि पति के तलाक का केस फाइल करने से पहले तक काम कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि वह नौकरी करने में सक्षम है और खुद की मर्जी से बेरोजगार है। इसे मेंटेनेंस पाने और दूसरे पक्ष के ऊपर फाइनेंशियल बोझ बनाने का कारण नहीं माना जा सकता।
‘बेकारों’ की फौज बनाने के लिए नहीं ‘मेंटेनेंस’ (Maintenance)
दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में फैमिली कोर्ट के फैसले को बदल दिया। फैमिली कोर्ट ने पत्नी को एक निश्चित गुजाराभत्ता देने की सिफारिश की थी, जिसके बदले में पति ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पत्नी को दिए जाने वाले गुजाराभत्ता की मांग की समीक्षा करते वक्त हाई कोर्ट की खंड पीठ ने ये अहम बात कही।
इसी साल ऐसे ही एक और मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की ही एक पीठ ने कहा था कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-24 देश में बेकार (Idle) लोगों की फौज खड़ी करने के लिए नहीं है। कानून की ये धारा जेंडर बेस्ड नहीं है। इसे एक दांपत्य जीवन में पति या पत्नी को वित्तीय सहायता देने के लिए जोड़ा गया है। रोजगार या काम करने की गंभीर कोशिश करने के बावजूद पूर्ति नहीं होने की स्थिति में एक-दूसरे की मदद करना इसकी मूल भावना है।
कोर्ट का कहना था कि इस धारा का मकसद मेंटेनेंस के लिए कानूनी लड़ाई में फंसे रहना और तब तक खाली बैठे रहना नहीं है। वहीं ये एक पक्ष के दूसरे पक्ष से पैसे उगाही करने का जरिया नहीं बन सकती है।
क्या कहता है मेंटेनेंस (Maintenance) का कानून?
भारत में अलग-अलग धर्म के लोगों को अपने रीति-रिवाज के हिसाब से शादी करने की अनुमति है। इसलिए तलाक के प्रावधान भी अलग-अलग हैं। हिंदुओं में शादी की व्यवस्था हिंदू मैरिज एक्ट से गाइड होती है। यहां तलाक की स्थिति में सिर्फ पत्नी को नहीं बल्कि पति को भी मेंटिनेंस या एलिमनी मांगने का हक है। वहीं स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होने वाली शादियों में सिर्फ पत्नी के पास ही मेंटिनेंस या एलिमनी मांगने का अधिकार होता है।
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आम तौर पर तलाक के मामलों में पत्नी ही पति से मेंटेनेंस या एलिमनी की मांग करती है। लेकिन तलाक के कुछ मामलों में पुरुष भी अपनी पत्नी से एलिमनी की मांग सकते हैं। किसी रिश्ते के खत्म होने पर पति अपनी पत्नी से तब एलिमनी मांग सकता है, जब उसकी आय का कोई साधन नहीं हो या उसकी आय पत्नी के मुकाबले कम हो। हालांकि ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।