सनातन धर्म में चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) का विशेष महत्व है और यह तिथि गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि के बाद आती है। देश में कुछ स्थानों पर इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) इस साल 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है। यदि विधि विधान से पूजा की जाती है तो जातकों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) पर स्नान व दान का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल सुबह 03.25 बजे शुरू होगी, वहीं इस तिथि का समापन 24 अप्रैल सुबह 05.18 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 23 अप्रैल को होगा।
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11.53 बजे से दोपहर 12.46 बजे तक
चंद्रोदय – शाम 06.25 बजे
चंद्र देव की पूजा का समय – शाम 06.25 बजे के बाद
ऐसे करें चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) पर पूजा
– सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी या पवित्र नदी में स्नान करें।
– चैत्र पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
– भगवान विष्णु की विधि अनुसार पूजा करें।
– पूजा के दौरान खीर का भोग जरूर लगाएं।
– शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा पाठ कर मंत्र जाप करें।
– चंद्र देव की पूजा भी शाम को मुहूर्त के दौरान करें
– इस शुभ दिन पर डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज, हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे पवित्र स्थानों पर जाना सबसे ज्यादा पुण्यदायी होता है।