पीतल के बर्तन (Utensils) में भोजन करना और तांबे के लौटे में पानी पीने के कई स्वास्थ लाभ मिलते हैं। कास्ट लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। मिट्टी के बर्तन (Utensils)में खाना और खाना पकाना दोनों ही लाभदायक माने जाते हैं, लेकिन 6 प्रकार के बर्तन में खाना न तो पकाएं और न खाएं।
प्लास्टिक के बर्तन:
किचन में प्लाटिक के बर्तन या डिब्बे तो बिल्कुल भी नहीं होना यह आपके किचनी की ऊर्जा भी खराब करते हैं साथ ही इसका आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव गिरता है। यह ऊर्जा का कुचालक है।
स्टेनलेस स्टील के बर्तन:
आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद माने जाते हैं परंतु इनमें यदि बैक्टिरिया या वायरस चिपक जाता है तो यह बहुत देर तक जीवित रहकर मल्टीप्लाई होता रहता है।
नॉन स्टिक बर्तन:
इन दिनों नॉन स्टिक बर्तनों का चलन काफी बढ़ गया है। नॉन स्टिक बर्तनों पर केमिकल कोटिंग होती है। इसमें कोटिंग के लिए पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन (PTFE) का उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि इसे आप स्टील के बर्तनों की तरह धो नहीं सकते हैं। दूसरा यह कि इसमें भोजन पकाने या खाने से सेहत संबंधी कई नुकसान होते है। इससे कैंसर जैसे रोग भी हो सकते हैं। आयरन की कमी हो सकती है। किडनी की समस्या भी हो सकती है। इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है।
कांच के बर्तन:
कांच राहु की वस्तु है जिससे घर में राहु के प्रवेश हो जाता है और चीनी मिट्टी से भी घर में बरकत नहीं रहती है। स्टेनलेस स्टील के बर्तन की तरह इनमें यदि बैक्टिरिया या वायरस चिपक जाता है तो यह बहुत देर तक जीवित रहकर मल्टीप्लाई होता रहता है।
एल्युमिनियम के बर्तन:
एल्युमिनियम राहु की धातु है यह भी दुर्भाग्य लाता है। एल्युमिनियम यदि शरीर में ज्यादा हो जाए तो नुकसानदायक हो सकता है। इस तरह के बर्तन में चाय, टमाटर जूस या प्यूरी, सांभर या चटनी बनाने या रखने से बचना चाहिए। इसमें खाना जितनी देर तक रहेगा उतना इसके रसायन घुलते जाएंगे। यह दिमाग और किडनी के लिए नुकसानदायक है।
जर्मन के बर्तन:
इसमें भोजन पकाने या खाने से त्वचा रोग हो सकता है। इसमें खाना जितनी देर तक रहेगा उतना इसके रसायन घुलते जाएंगे। इसमें खाना बहुत जल्दी खराब होता है और यह जहरीला भी बन सकता है।