भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का व्रत किया जाएगा। इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को रखा जाएगा। इस दिन किसी भी समय गणपति की स्थापना कर सकते हैं। कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर बप्पा धरती पर भक्तों के दुख दूर करने आते हैं।
इस दिन शुभ मुहूर्त में गणपति को स्थापित करें। भगवान को गंगाजल से स्नान करवाएं। सिंदूर व चंदन का तिलक लगाकर पीले फूलों की माला अर्पित करें। मोदक का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। इस दिन दुर्वा को पूजा में जरूर शामिल करना चाहिए। आपको बता दें कि दुर्वा हमेशा जोड़े में अर्पित करें। इसके लिए 11 जोड़े दुर्वा चढ़ानी चाहिए।
दुर्वा लाते समय ध्यान रखना चाहिए कि दुर्वा किसी साफ सुथरे स्थान से ही लें। हो सके तो पूजा के लिए किसी गमले में दुर्वा उगा लें। इसके अलावा किसी गंदे जल के आस-पास की दुर्वा को पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
दुर्वा क्यों चढ़ाते हैं-
कथा के अनुसार पुराने समय में अनलासुर नाम का एक राक्षस था। इस राक्षस के आतंक से सभी परेशान थे। वो इतना शक्तिशाली था कि देवता भी उसे खत्म नहीं कर पा रहे थे। सभी को राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए गणेशजी ने अनलासुर को निगल लिया था। जिससे गणेशजी के पेट में बहुत जलन होने लगी थी। इसके बाद ऋषियों ने खाने के लिए गणेश जी को दूर्वा दी। दूर्वा खाते ही गणेशजी के पेट की जलन शांत हो गई। तभी से गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।