अगर आप भी पितरों का श्राद्ध कर्म कर रहे हैं, तो आपको अच्छे से इसके करने की विधि और समय पता होना चाहिए। यहां हम आपको बताएंगे की पितरों के तर्पण के लिए कौन सा समय उत्तम रहेगा। इस साल पितृ पक्ष (Pitru Paksha) 18 सितंबर से शुरू होकर दो अक्तूबर तक रहेगा। जिन लोगों के पितरों की तिथि पूर्णिमा है, वे 17 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध करेंगे। प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को माना जाएगा।
कौन सा समय पितरों के लिए तर्पण के उत्तम
पितरों को तर्पण किस समय किया जाना चाहिए, यह जानना भी बहुत जरूरी है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय सूर्य को जल अर्पित करने और तर्पण करने से पितरों तक पहुंचता है। इसके लिए तीन कालों का इस्तेमाल किया जाता है। कुतुप काल, रोहिण काल और अपराह्न काल कहा जाता है। कुतुप काल में 11:36 से 12:25 बजे तक का समय होता है।
रोहिण काल में 12:25 से 1:14 बजे तक का समय होता है। अपराह्न काल में 1:14 से 3:41 बजे का समय होता है। ज्योतिषियों के अनुसार यह समय पितरों की पूजा के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। इस समय किया गया तर्पण पितृ स्वीकार करते हैं।
श्राद्ध क्यों है जरूरी
आपको बता दें कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या की तिथि पितरों की तिथि कहलाती है। 18 सितंबर से 2 अक्टूबर का समय अपने पितरों को याद करने का दिन है। उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
मान्यता के अनुसार इस अवधि में पितृ अपने परिजनों को आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान पितरों को श्रद्धा के साथ भोजन कराना, दान करना और तर्पण करने का विशेष महत्व है।