हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) का बहुत अधिक महत्व होता है। दर्श अमावस्या पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और दान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितर लोक से पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण करना और पिंडदान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए कुछ उपाय करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। पितृ दोष होने पर इस दिन विशेष पूजा करने से दोष दूर होता है और इस दिन किए गए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) तिथि 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी और 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि की मुताबिक दर्श अमावस्या 30 नवंबर दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी।
दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) पर करें ये उपाय
पितृ दोष निवारण के लिए पूजा
पीपल के पेड़ को पितरों का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करके जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। पितृदोष निवारण के लिए यंत्र की स्थापना कर पूजा करें और तिल के तेल का दीपक जलाकर पितरों का तर्पण करें। इस दिन मंत्रों का जाप करने से पितरों को शांति मिलती है।
दान
काले तिल का दान पितरों को शांति दिलाता है और गरीबों को अन्न का दान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। इसके साथ ही जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और गाय को चारा खिलाने से पितर प्रसन्न होते हैं।
श्राद्ध कर्म
पितरों के नाम से पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है। दर्श अमावस्या के दिन विधिवत रूप से श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और लोगों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितरों का करें स्मरण
दर्श अमावस्या के दिन पितरों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दें। पितरों के नाम से दान करते समय पूर्वजों के नाम का स्मरण करें।
मंदिर में करें पूजा
दर्श अमावस्या के मौके पर शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें और भगवान शिव से पितरों के आशीर्वाद की प्रार्थना करें। दर्श अमावस्या के दिन इन उपायों को करने से पितरों को शांति मिलेगी और आपका जीवन सुखमय होगा।
दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) का महत्व
दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है, जिसे पितृ पक्ष से भी जोड़ा जाता है। यह दिन हमारे पूर्वजों यानी पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितृ देवता धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण करना और पिंडदान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो इस दिन विशेष पूजा करने से वह दोष दूर होता है। पितरों को शांत करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन किए गए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में आर्थिक उन्नति होती है।