16 दिसंबर से खरमास (Kharmas) लगेगा। इस कारण एक बार फिर से मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाएंगे। शादी-विवाह के अलावा गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य पर लग जाएंगे प्रतिबंध। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। 14 जनवरी मकर संक्रांति तक खरमास रहेगा। खरमास के दौरान पूजा, आराधना और दान-पुण्य पर कोई प्रतिबंध नहीं रहता। इस प्रकार धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए खरमास (Kharmas) शुभ ही माना जाता है। दृग पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर की रात 10 बज कर 19 मिनट पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जिसके बाद एक माह तक खरमास रहेगा। ऐसे में 16 दिसंबर खरमास प्रभावी हो जाएगा। ठीक एक माह बाद 14 जनवरी 2025 मकर संक्रांति तक खरमास रहेगा।
खरमास (Kharmas) में न करें ये काम
खरमास मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। क्योंकि सूर्य की स्थिति कमजोर होती है। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है, और जब वह अपनी स्थिति बदलकर धनु राशि में प्रवेश करता है, तो इस अवधि को धार्मिक दृष्टि से शुभ नहीं समझा जाता है। खरमास के दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार और अन्य शुभ काम पूरी तरह से वर्जित हो जाते हैं।
खरमास (Kharmas) में करें ये काम
खरमास (Kharmas) का भी अपना धार्मिक महत्व है। इस अवधि में लोग भगवान की पूजा, दान-पुण्य और साधना पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जो अत्यंत पुण्यदायी होता है। बल्कि खरमास धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान गंगा स्नान, विष्णु भगवान की पूजा और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में स्थायी सुख-समृद्धि और परम शांति आती है। खरमास के दौरान पूजा पाठ का विशेष महत्व है और इससे जातकों को भगवान का आशीष प्राप्त होगा। इस दरम्यान जप, दान और तप किया जा सकता है। खरमास में पवित्र नदी में स्नान करने, तीर्थ यात्रा करने का भी महत्व माना गया है। मान्यता है कि इन दिनों गरीबों की मदद और दान करने से अक्षय पुण्यफल मिलता है।
खरमास (Kharmas) के दौरान भगवद्भक्ति के क्रम में रोजाना सुबह जल्दी स्नान करके व्यक्ति को नियम संयम से पूजापाठ करनी चाहिए। खरमास में रोजाना सुबह उठकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए और कम से कम तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। खरमास में जप, तप, दान आदि करना चाहिए, इससे शुभ फल मिलेंगे और ईश्वर के आशीर्वाद से जीवन के कष्ट दूर हो जाएंगे। खरमास में गाय, गुरु, ब्राह्मण और संन्यासियों की सेवा सामर्थ्य के अनुसार करनी चाहिए, ऐसा करने से विशेष पुण्यफल मिलने की मान्यता है।
खरमास में तीर्थस्थलों की यात्रा कर पूजा पाठ जरूर करना चाहिए। अगर संभव नहीं है तो घर के सबसे नजदीक किसी धार्मिक स्थान पर जाकर जरूर पूजा करनी चाहिए। खरमास में तुलसी जी की पूजा जरूर करनी चाहिए, लेकिन मंगलवार, रविवार और एकादशी को छोड़कर करने की मान्यता है।