हिंदी पंचांग के अनुसार फागुन माह की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व शुरू हो जाता है। लेकिन होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक (Holashtak) शुरू हो जाते हैं। इन दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सभी मंगल कार्यों पर इन दिनों में ब्रैक लग जाता है।
होलाष्टक (Holashtak) पर क्या करें और क्या नहीं
आपको बता दें कि होष्टक (Holashtak) पर ग्रह बहुत उग्र अवस्था में होते हैं। अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। इस लिए इन दिनों भगवान के नाम का जप करना चाहिए। जितना हो सके पूजा पाठ और दान करना चाहिए। इन दिनों व्रत आदि कर सकते हैं। ग्रहों को शांत करने उपाय भी किएजा सकते हैं। ज्योतिष विद्वानों की मानें तो होलाष्टक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
इन दिनों नेगेटिव एनर्जी हावी होती है। इन दिनों शादी, विवाह, सगाई, कनछेदन, ग्रह प्रवेश आदि नहीं करने चाहिए। होली के बाद फिर मंगल कार्य शुरू होते हैं। इस बार होलाष्टक (Holashtak) 7 मार्च से लग रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप ने कई यातनाएं दी थी, जिसकी वजह से इन दिनों को बहुत कष्टकारी माना जाता है।
इस बार होली कब है
13 मार्च सुबह 10:25 से शुरू हो रही है। अगले दिन 14 मार्च दोपहर 12:13 पर पूर्णिमा तिथि खत्म होगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार होलिका दहन 13 मार्च को होगा। इस दिन भद्रा भी है। भद्रा सुबह से शुरू हो रही है और रा को 11.30 बजे तक रहेगी। इसलिए होलिका दहन 11.26 मिनट पर किया जा सकेगा।
इसका शुभ मुहूर्त रात को 11:26 से लेकर 12:30 तक रहेगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त लगभग 1 घंटे का ही मिलेगा, जिसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाएगी।