होलाष्टक (Holashtak) होली से आठ दिन पहले शुरू होकर होलिका दहन के साथ समाप्त होता है। हिंदू धर्म में इसे अशुभ अवधि माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता की संभावना कम होती है, इसलिए जरूरी काम होलाष्टक से पहले निपटा लेना शुभ माना जाता है। यह काल भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि इन आठ दिनों में हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को कठोर यातनाएं दी थीं।
होलाष्टक (Holashtak) की तिथियां 2025
आरंभ: 7 मार्च 2025 (शुक्रवार)
समाप्ति: 13 मार्च 2025 (गुरुवार)
होलिका दहन: 13 मार्च 2025 (रात्रि)
रंगों की होली: 14 मार्च 2025
होलाष्टक (Holashtak) से पहले जरूर निपटा लें ये काम
शुभ कार्य: विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों को होलाष्टक से पहले पूरा कर लें, क्योंकि इस अवधि में इन्हें अशुभ माना जाता है।
बड़ी खरीदारी: घर, गाड़ी या गहनों की खरीदारी होलाष्टक शुरू होने से पहले कर लें, क्योंकि इस दौरान नई खरीदारी शुभ नहीं मानी जाती।
आर्थिक निर्णय: निवेश, उधार लेना-देना या नया व्यवसाय शुरू करने से बचें, क्योंकि इस समय आर्थिक नुकसान की संभावना रहती है।
विवादों का समाधान: यदि कोई विवाद चल रहा हो तो इसे होलाष्टक से पहले सुलझाने की कोशिश करें, अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती है।
पितृ कार्य: श्राद्ध या तर्पण जैसे कार्यों को भी होलाष्टक से पहले करना उचित माना जाता है, क्योंकि इस अवधि में इन्हें करना शुभ नहीं होता।
होलाष्टक (Holashtak) के दौरान करें ये कार्य
– भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें।
– मंत्र जाप और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
– दान-पुण्य करें, गरीबों व जरूरतमंदों की सहायता करें।
– परिवार व प्रियजनों के साथ समय बिताएं।
– भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की आराधना करें और भगवान शिव को जल व बेलपत्र अर्पित करें।
होलाष्टक (Holashtak) का महत्व
होलाष्टक (Holashtak) का समय आत्मशुद्धि, साधना और सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, विशेष रूप से भगवान नरसिंह का स्मरण अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह अवधि नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम होती है। इस दौरान दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। अन्न, वस्त्र और धन का दान करना न केवल पुण्यदायी होता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है।
इसके अलावा, इस अवधि में मंत्र जाप और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन से मानसिक शांति मिलती है और मनोबल मजबूत होता है। आत्मचिंतन, ध्यान और साधना के लिए यह समय अत्यंत अनुकूल होता है, जिससे व्यक्ति अपने भीतर सकारात्मक बदलाव ला सकता है। होलाष्टक के दौरान परिवार के साथ समय बिताना और घर में धार्मिक आयोजन करना भी सौभाग्यवर्धक माना जाता है। यह समय न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए भी विशेष होता है। यदि इस अवधि में सही तरीके से पूजा-अर्चना, दान और साधना की जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।