नई दिल्ली। इंडियन स्टॉक मार्केट (Share Market) अब गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाने पर तुला है। बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 28 साल में अपनी सबसे बड़ी गिरावट देख चुका है। अब 35 साल पहले शुरू हुए एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) ने 29 साल की सबसे बड़ी गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि एक नजर में ये 35 साल के इतिहास में भी उसकी लगातार सबसे बड़ी गिरावट है। मंगलवार को बाजार जब बंद हुआ तो निफ्टी ने भी स्नैपचैट की तरह 10 दिन की एक स्ट्रीक क्रिएट कर ली, लेकिन ये स्ट्रीक लगातार 10 दिन तक इंडेक्स के गिरने से जुड़ी है।
मंगलवार को निफ्टी (Nifty) लगातार दसवें दिन गिरकर बंद हुआ। इससे पहले निफ्टी (Nifty) में लगातार इतनी बड़ी गिरावट जनवरी 1996 में देखी गई थी। तब 28 दिसंबर 1995 से 10 जनवरी 1996 तक लगातार 10 दिन निफ्टी गिरकर बंद हुआ था। हालांकि ये निफ्टी की ऑफिशियल लॉन्चिंग से पहले हुआ था। निफ्टी की आधिकारिक शुरुआत 22 अप्रैल 1996 को हुई थी।
पीक हाई से 16 फीसदी नीचे आया निफ्टी
बीते साल सितंबर में निफ्टी (Nifty) ने अपने पिछले पीक लेवल यानी 26,277 अंक को छुआ था। अगर तब से तुलना करके देखें तो अब तक निफ्टी में 15.4 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। मंगलवार को निफ्टी 22,082.65 अंक पर बंद हुआ है। वहीं बीएसई सेंसेक्स भी अब तक 16.2 प्रतिशत गिर चुका है। इतना ही नहीं कोविड के चलते 2020 में मार्केट में आई गिरावट के बाद ये अब तक की सबसे बड़ी गिरावट भी है।
अगर शेयर बाजार (Share Market) में गिरावट की वजहों पर नजर डालें, तो सबसे बड़ी वजह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की यहां से लगातार निकासी करना है। 2025 में अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 1.24 लाख करोड़ रुपए की निकासी की है। जबकि बीते 5 महीने में एफपीआई 3.52 लाख करोड़ रुपए मार्केट से निकाल चुके हैं।
वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति (Tariff Policy) का ग्लोबल मार्केट पर क्या असर होगा? इसे लेकर भी निवेशकों का रुख सावधानी भरा है, जिसके चलते बाजार से निवेशक पैसा निकाल रहे हैं। एक और कारण भारतीय बाजार का ओवर वैल्यूड होना भी है। भारत के उलट चीन का शेयर बाजार अभी अंडर वैल्यूड है जिसकी वजह से एफपीआई यहां से पैसा निकालकर वहां लगा रहे हैं, क्योंकि आने वाले दिनों में उन्हें इससे बेहतर रिटर्न कमाने की उम्मीद है।