फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी भी कहते है। इस साल यह तिथि दस मार्च को पड़ रही है। इस दिन रंगभरी और आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) व्रत रखा जाएगा, जिसमें भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाएगी। इसी दिन से होली का त्योहार शुरू हो जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन श्रीकृष्ण मंदिरों में अबीर-गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, सांसारिक सुख और मोक्ष भी मिलता है। यही वजह है कि इस तिथि को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) भी कहते हैं।
1. सूर्योदय से पहले स्नान- व्रती को प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
2. भगवान विष्णु की पूजा- भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें फूल, तुलसी दल, पीले वस्त्र और मिठाई अर्पित करें। व्रत रखने का संकल्प जरूर लें।
3. व्रत कथा सुनें- इस दिन व्रत कथा सुनने और सुनाने का विशेष महत्व है।
4. भोजन- व्रती को आमलकी एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। केवल फलाहार करें या जल ग्रहण करें।
आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) व्रत रखने के नियम:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकादशी व्रत के दौरान सत्य, अहिंसा और संयम का पालन करना चाहिए। व्रत रखने वालों को इस दिन किसी भी प्रकार के बुरे विचारों या कार्यों से बचना चाहिए। भगवान विष्णु के सामने संतान प्राप्ति की कामना करके व्रत का संकल्प लेना फलदायक माना जाता है।
इस दिन किन चीजों का दान करना चाहिए:
इस एकादशी पर केला, केसर या हल्दी का दान करना उत्तम माना जाता है। साथ ही आंवले का दान भी करना चाहिए। इन चीजों के दान से पुण्य फल मिलता है। भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद पसंद है। इसलिए आमलकी एकादशी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने से व्रत का पूरा फल मिलता है।