अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और विशेष रूप से पापों के नाश, आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या, गोत्र हत्या, गर्भस्थ शिशु की हत्या, परनिंदा और परस्त्रीगमन जैसे बड़े पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत के पुण्य से अपार धन, समृद्धि और प्रसिद्धि मिलती है। इसे सहस्र गोदान के फल के समान माना गया है।यह व्रत जीवात्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति में सहायक माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी पूजा-अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कब है अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की शुरुआत 23 मई को देर रात 1 बजकर 12 मिनट 12 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 23 मई को रात्रि 10 बजकर 29 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा।
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) के दिन घर पर कैसे करें पूजा?
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं। फिर स्नान के बाद साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। भगवान को चंदन, पीले फूल, तुलसी दल, धूप, और दीप अर्पित करें।
भगवान विष्णु को फल, मिठाई और तुलसी पत्र डालकर भोग लगाएं। ध्यान रखें कि भोग में केवल सात्विक चीजें ही शामिल हों।भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं। अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। आखिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद भोग को प्रसाद के रूप में सभी में वितरित करें।अपनी क्षमतानुसार गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत के नियम
– दशमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
– एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
– भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
– दिन में सोना नहीं चाहिए और बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए।
– द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और फिर खुद भी भोजन करके व्रत खोलना चाहिए।
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत का महत्व
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य बड़े-बड़े पापों से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत के पुण्य से मनुष्य को अपार धन, समृद्धि और प्रसिद्धि मिलती है। यह भी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से प्रेत योनि से भी मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान वामन की पूजा भी विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।