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भारत कोई धर्मशाला नहीं जहां दुनिया भर के…, सुप्रीम कोर्ट ने की श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी की याचिका खारिज

Writer D by Writer D
20/05/2025
in राजनीति, नई दिल्ली, राष्ट्रीय
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Supreme Court

Supreme Court

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एक श्रीलंकाई नागरिक  द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जिसमें उसने अपनी सजा पूरी होने के बाद देश से निर्वासन को चुनौती दी थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत कोई ‘धर्मशाला’ नहीं है, जहां दुनिया भर के शरणार्थियों को शरण दी जा सके।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि क्या भारत दुनिया भर के शरणार्थियों को शरण देने के लिए है? हम पहले से ही 140 करोड़ की आबादी से जूझ रहे हैं। यह कोई धर्मशाला नहीं है जहां हम हर जगह से आए विदेशी नागरिकों को जगह दें।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया था कि श्रीलंकाई तमिल नागरिक को यूएपीए (UAPA) मामले में सात की सजा पूरी होते ही भारत छोड़ देना चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि श्रीलंकाई तमिल युवक वीजा पर यहां आया था। उसे अपने देश में जान का खतरा है। वह बिना किसी निर्वासन प्रक्रिया के तीन साल से हिरासत में है।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता से वकील से पूछा कि यहां बसने का आपका क्या अधिकार है? तो वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक शरणार्थी और उसके पत्नी-बच्चे भारत में बस गए हैं। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि अनुच्छेद 21 का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। उसकी स्वतंत्रता छीनी गई थी। लेकिन अनुच्छेद 19 के अनुसार भारत में बसने का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को है। जब वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपने देश में जान का खतरा है तो न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि किसी अन्य देश चले जाएं।

यह है मामला

याचिकाकर्ता को 2015 में दो अन्य लोगों के साथ LTTE कार्यकर्ता होने के शक में गिरफ्तार किया गया था। उसे यूएपीए (UAPA) के तहत ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने दोषी ठहराया और 10 साल की सजा सुनाई थी। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court)  ने उसकी सजा घटाकर तीन साल कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सजा पूरी होने के बाद उसको देश छोड़ना होगा।

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वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता 2009 में LTTE के पूर्व सदस्य के रूप में श्रीलंका में युद्ध लड़ चुका है और उसे वहां से निकाला गया है। अगर उसे वापस भेजा जाता है तो उसकी जान को खतरा होगा। उसने कहा कि उसकी पत्नी और बेटा कई बीमारियों से पीड़ित हैं।

Tags: delhi newsNational newsSupreme Court
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